Poem darakht ka dard

दरख़्त का दर्द | Poem darakht ka dard

दरख़्त का दर्द ( Darakht ka dard )   मैंने पूछा पेड़ प्यारे तुम हमें शीतल छाया देते हो प्राणवायु जीवनदायिनी जीवन रक्षा कर लेते हो   बोला पेड़ पीढ़ियों से हम परोपकार करते आए दर्द सहा जाने कितना किंतु बोल नहीं हम पाए   अंधाधुंध कटाई कर दी नर को लालच ने मारा है…