दूध का क़र्ज़ | Poem in Hindi on doodh ka karz
दूध का क़र्ज़ ( Doodh ka karz ) माँ का जगह कोई ले न सकता, दूध का क़र्ज़ उतार ना सकता। माँ ने कितनी ये ठोकर है खाई, दूध की लाज रखना मेंरे भाई।। न जानें कहां-कहां मन्नत माॅंगी, मंदिर, मस्जिद, चर्च में जाती। तू जग में आऐ अर्ज़ ये लगाती, पीड़ा…