महज | Poem in Hindi on Mahaj
महज ( Mahaj ) महज रख देते हाथ कंधों पे, दर्द ए पीर सब हवा हो जाती, ना गम का होता ठिकाना कहीं, ना हालत कहीं ये बिगड़ पाती। महज तेरे आ जाने से ही सही, खुशियां भी मेरे घर चली आई, खिल उठा दिल का सारा चमन, मन की बगिया सारी हरसाई। महज…