Poem in Hindi on Nari | नारी
नारी ( Nari ) ( 2 ) हर युग को झेला है जिसने हार नहीं पर मानी वह नारी। स्वाभिमान को गया दबाया सिर नहीं झुका वह है नारी। जीवन के दो पहलू कहलाते फिर भी इक ऊँचा इक नीचा। विष के प्याले पी पी कर भी अमृत से जग को नित सींचा। कंटक पथ…