Poem on shakuntal

शकुंतला | Poem on shakuntala

शकुंतला ( Shakuntala )     गुमनाम हुआ इस तन से मन, बस ढूंढ रहा तुमको प्रियतम। चक्षु राह निहारे आ जाओ, निर्मोही बन गए क्यों प्रियतम।   क्या प्रीत छलावा था तेरा, या मुझमें ही कुछ दोष रहा। क्यों शकुंतला को त्याग दिया, यह यौवन काल हुआ प्रियतम।   क्यों भूल गए हे नाथ…

घटा घनघोर घन घन बरसे,दामिनी तडके है तड तड। धरा की प्यास मिटती, तन मे जगती प्यास है हर पल।

शकुन्तला | Shakuntala kavita

शकुन्तला ( Shakuntala kavita )   घटा घनघोर घन घन बरसे,दामिनी तडके है तड तड। धरा की प्यास मिटती, तन मे जगती प्यास है हर पल।   मिले दो नयन नयनो से, मचल कर कामना भडके। लगे आरण्य उपवन सा,अनंग ने छल लिया जैसे।   भींगते वस्त्र यौवन से लिपट कर, रागवृंत दमके। रति सी…