Poem on zamana

कैसा अजब ये जमाना आया | Poem on Zamana

कैसा अजब ये जमाना आया ( Kaisa ajab ye zamana aaya )     आज कैसा अजब यह ज़माना आया, कही पर धूप और कही पर है छाया। हाल बेहाल है सभी का बिन यें माया, देश यह सारा जैसे आज है घबराया।।   महामारी ने सभी देशों को है हिलाया, उदासियाॅं सबके चेहरे पर…