Poem suni holi

सूनी होली | Poem suni holi

सूनी होली ( Suni holi )   छेड़छाड़ ना कोई शरारत ना कोई हॅंसी ठिठोली ना कोई रंगों की महफ़िल ना कोई घूँट ना गोली सारा  जग  वैसा  ही  है पर लगती एक कमी है सोच  रहा  बैठा  मेरा  मन  कैसी  होली हो ली   भीड़ भाड़ औ’ शोरो गुल सब सन्नाटा बन बिखरा जितना…