तेरी हर बात | Poem teri har baat
तेरी हर बात ( Teri har baat ) कभी चैत्र- बैसाख की पवित्र गरिमा लिये कभी गर्म लू सी ज्येष्ठ- आषाढ़ की तपन लिये कभी सावन-भादों सी छमाछम पावस की बूंदें लिये कभी त्योहारों सीआश्विन-कार्तिक के मीठे नमकीन लिये कभी मार्गशीर्ष-पौष की कड़कड़ाती रातों की सर्दी लिये कभी माघ- फाल्गुन…