प्रेम | Prem Ke Dohe
प्रेम ( Prem ) १) प्रेम की बंसी सुमधुर,मंत्रमुग्ध करी जाए। सुध-बुध का न पता चले,एकांत समय बिताए।। २) जीवन में प्रेम महान, कुछ न इसके समान। मान सम्मान जहां मिले,वही है स्वर्ग स्थान।। ३) नमन से नयन मिलाओ, आंखें कर लो चार। प्रेमरोग में जो पड़े,छुट जावे संसार ।। ४)…