Paili aali

पैली आली बाता अब री कट्ठे | Rajasthani Poem in Hindi

पैली आली बाता अब री कट्ठे ( Paili aali bata ab re katthe )   पैली आली बाता अब  री  कट्ठे, ग़म खाबो गुस्सो पीबो अब कट्ठे। घाट अर छाछ का सबड़का कट्ठे, गुड़ तिली रो तेल अब पचें कट्ठे।। भाग फाट्या ही सब उठ जाता, दादा उ सबल्ला घर का डरता। गाँय भास रो…