Runa lakhnavi poetry

अच्छाई तुम्हारी पहचान | Runa lakhnavi poetry

अच्छाई तुम्हारी पहचान ( Achai tumhari pehchan )   मुस्कुराकर, न जाने कितने जंग जीते हैं तो क्या हुआ, अगर एक बार हार भी गए तो! तुम फूल की तरह हमेशा महकना किसी की बात से कभी न बहकना!   काँटों से भरा रास्ता तो पार कर लिया और जिस सादगी से तुम ये जीवन…