संसय

Sansaya Hindi kavita On Life – संसय

संसय ( Sansaya Kavita)   मन के रावण को मारे जो, राम वही बन पाएगा, वरना सीता  को रावण से, कैसे  कौन  बचाएगा।   कुछ नर में रावण बसते है, कुछ नारी में सूर्पनखा, संस्कार को त्याग दिया तो, धर्म को कौन बचाएगा। दीपक के जलने से  बुझता, अन्धकार  रूपी  माया, मन मे जगता ज्ञान…