संस्कार | Sanskar par kavita
संस्कार! ( Sanskar ) राम का संस्कार फिर देश में लाया जाए, पीकर आँसुओं को न जीवन बिताया जाए। खत्म हुआ समाज से छोटे- बड़े का अदब, भरत का वो कठोर तप सबको बताया जाए। लोग खौफजदा हैं आजकल के माहौल से, बाग की बुलबुल को बहेलिए से बचाया जाए। ठीकेदार बन बैठी घरों…