संवेदनाएं | Sanvedanaen
संवेदनाएं ( Sanvedanaen ) जिम्मेदारियों के बोझ से जब दब जाती है जिंदगी सपने रह जाते हैं सपने ही तब न रात होती है न दिन निकलता है सुबहोशाम मे फर्क ही नहीं होता दुनियावी भीड़ के माहौल मे किसी अपने को तलाशती नजर भटकती ही रह जाती है पर ,कोई अपना नहीं मिलता…