सरोज कौशिक की कविताएं | Saroj Koshik Poetry
क्या तुमने क्या तुमने झरना देखा है? देखी है उसकी यात्रा? तुम्हें तो सिर्फ अपने सुख से मतलब है। बताती हूं उसकी यात्रा का दुख। तुम्हारी तरह मैंने भी चाहा था मेरा जीवन झरने सा बहता रहे,हर,हर। लेकिन, जब चुल्लू में उसका जल भरा तो रंग मिला लाल रक्त रंजित सा। एक घायल चेहरा कहता…