श्रृंगार | Shrrngaar
श्रृंगार ( Shrrngaar ) मधुरम नयन काजल से प्रिय, अधर पंखुड़ी गुलाब की जैसे , लट गुघराली उड़े जब मुख पर मधुरम मुस्कान को संग लिए स्त्री अपने लाज भाव से ही पूर्ण करे अपना श्रृंगार सारा ।। रूप मोतियों के जैसा प्यारा कंचन बरण दमके यह कया हृदय में प्रेम के स्वर सजाकर…