श्याम | Shyam kavita
श्याम ( Shayam ) रस लेकर रसखान सरीखे, काँन्हा तुम आ जाओ। जग मे घटते प्रीत मोह रस, फिर से आ बरसाओ। सूखी धरती उमड मेघ बन,जग की प्यास बुझाओ। नटवर नागर कृष्ण कन्हैया,अब तो तुम आ जाओ। कालीदास के मेघदूत बन, उमड घुमड कर आओ। तृप्त करो मन की चंचलता,अब तो…