सोच की संकीर्णता | Soch ki Sankirnata
सोच की संकीर्णता ( Soch ki sankirnata ) पानी है अगर मंजिल तुम्हे, तो कुछ फैसले कठोर भी लेने होंगे जिंदगी की हर ऊंचाई का पैमाना निश्चित नही होता.. कभी कभी सोच की संकीर्णता स्वयं की प्रतिभा को ही निखरने नही देता…. बढ़ाएं तो आएंगी ही कभी अपने से कभी अपनों से और कभी…