सुन खरी-खरी | Sun Khari-Khari
सुन खरी-खरी! ( Sun khari-khari ) खामियाँ निकालने में साँसें तेरी नप जाएँगी, रख होश-ओ-हवास काबू में,साँसें उखड़ जाएँगी। न वक़्त है तेरे काबू में और न ही दिल है काबू में, किसी प्रतिशोध में खूबसूरत दुनिया उजड़ जाएगी। न तेरी मुट्ठी में जमीं है,न आसमां,न चाँद-सितारे, एकदिन तेरे जिस्म से ये रुह भी…