थप्पड़

Kavita | थप्पड़

थप्पड़ ( Thappad ) *** उसने मां को नहीं मारा मार दिया जहान को अपनी ही पहचान को जीवन देने वाली निशान को। जान उसी की ले ली, लिए गोद जिसे रोटियां थी बेली। निकला कपूत, सारे जग ने देखा सुबूत। हो रही है थू थू, कितना कमीना निकला रे तू? चुकाया न कर्ज दूध…