तुम्हे चाहा अधिक सारे जहां से | Kavita
तुम्हे चाहा अधिक सारे जहां से ( Tumhe chaha adhik sare jahan se ) तुम्हे चाहा अधिक सारे जहां से। मुकद्दर मैं मगर लाऊ कहां से।। ऐ मेरी जाने गजल तू ही बता, कौन हंसकर हुआ रूखसत यहां से।। किसी भी चीज पे गुरुर न कर, हाथ खाली ही आया है वहां से।। मैं …

