उलझे हुए हैं

उलझे हुए हैं | Uljhe Hue Hain

उलझे हुए हैं ( Uljhe Hue Hain ) अपने जज़्बात में उलझे हुए हैं इक मुलाकात में उलझे हुए हैं दर्द की तान, बसी है जिनमें, ऐसे नग़मात में उलझे हुए हैं चाँदनी की सी चमक है जिस में सब उसी गात में उलझे हुए हैं इससे हासिल तो नहीं होता कुछ, फिर भी सब…