Urmila par kavita

उर्मिला | Urmila par kavita

उर्मिला ( Urmila )   हे मधुकर क्यों रसपान करे, तुम प्रिय प्रसून को ऐसे। कही छोड के तो ना चल दोगे,तुम दशरथनन्दन जैसे। हे खग हे मृग हे दशों दिशा, हे सूर्य चन्द्र हे तारे, नक्षत्रों ने भी ना देखा, उर्मिला से भाग्य अभागे। वो जनक नन्दनी के सम थी, मिथिला की राजकुमारी। निसकाम…