विश्व धरा ज्योतिर्मय : राघवेंद्र के अभिनंदन में
विश्व धरा ज्योतिर्मय,राघवेंद्र के अभिनंदन में जन ह्रदय पुनीत पावन, सर्वत्र स्नेह प्रेम सम्मान। कलयुग रूप त्रेता सम, अयोध्या उपमित जहान। मर्यादा पुरुषोत्तम दिग्दर्शन, आराधना स्तुति वंदन में । विश्व धरा ज्योतिर्मय, राघवेंद्र के अभिनंदन में ।। साढ़े पांच सौ वर्ष दीर्घ प्रतीक्षा, राम लला प्राण प्रतिष्ठा अनूप । मनुज सर्व जीव जंतु विभोर,…