विवश | Vivash
विवश ( Vivash ) उम्मीदों के टूट जाने पर शोर तो नहीं होता बस, उठती है टीस एक हृदय मे और ढलक जाते हैं दो बूंद आंसू पलकों के कोने से जो सूख जाते हैं चेहरे पर ही उम्मीदें भी किसी गैर से नही होती हर रिश्ते भी उम्मीद के काबिल नही होते दर्द…
विवश ( Vivash ) उम्मीदों के टूट जाने पर शोर तो नहीं होता बस, उठती है टीस एक हृदय मे और ढलक जाते हैं दो बूंद आंसू पलकों के कोने से जो सूख जाते हैं चेहरे पर ही उम्मीदें भी किसी गैर से नही होती हर रिश्ते भी उम्मीद के काबिल नही होते दर्द…