कैसी बहार पर है वतन | Watan ke Halat par Ghazal
कैसी बहार पर है वतन ( Kaisi bahar par hai watan ) किस तरह के निखार पर है वतन भुखमरी की कगार पर है वतन जिनके लहज़े भरे हैं नफ़रत से वो ये कहते हैं, प्यार पर है वतन इतनी महंगाई बढ़ गई हर सू हर घड़ी बस उतार पर है वतन मुल्क के…