कासे कहूँ मैं बात अपने जिया की | Kaise Kahoon
कासे कहूँ मैं बात अपने जिया की
( Kaise kahoon main baat apne jiya ki )
कासे कहूं मैं बात अपने जिया की।
कही न जाए बात सबसे पिया की।
आके बसे हैं सनम लो मोरे हिया में।
कोई खास बात होगी मोरे पिया में।
छबीली अदाएं सब चाल मस्तानी है।
घुंघराले केश काले राधा दीवानी है।
सांवली सी सूरत गाल गुलाबी है।
अधरों पे मुरली नयना शराबी है।
रूप मनोहर मेरा माधव प्यारा है।
मोर मुकुट धारी कान्हा हमारा है।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )