मेरी अयोध्या | Meri Ayodhya
मेरी अयोध्या
( Meri Ayodhya )
धर्म की नगरी सोई हुई थी, आज जगी है मेरी अयोध्या।
पुलकित हो गया रोम रोम,आज खिली है मेरी अयोध्या।
नैना निहारत चौखट पर इक, मन्दिर ऐसा भव्य बना है,
भारत का संताप मिटा अब,दमके ऐसी है मेरी आयोध्या।
दीप जलावत मंगल गावत, जन मन को रिझावे अयोध्या।
सोने की लंका रही त्रेता मे, सोने से द्वार सजाये अयोध्या।
ऐसा विशाल बना मंदिर ये,दिव्य अलौकिक रूप सजाया,
हर हिन्दू मन अचरज लागे, ऐसा भव्य बनाया अयोध्या।
नैना तरसे सदियों से जो,पितरों को तृप्त दिलाये अयोध्या।
भर भर आये नयना मोरे, मन की प्यास बुझाये अयोध्या।
पाँच सदी से ज्यादा हो गये, कैसे मन की व्यथा सुनाए,
भारत गौरव पुनः जगा है, अब हुँकार लगाये अयोध्या।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )