हे रघुनन्दन
( Hey Raghunandan )
लाया हूँ मैं भक्ति भाव से, मन मे भर कर प्यार।
हे रघुनन्दन जानकी बल्लभ, प्रीत करो स्वीकार।
नयना भर कर छलक रहे है, नेह नयन के भाव,
चरण पखारू अश्रुधार से, राम तुम्ही आधार।
सदियों से श्रापित भूमि को, आज मिला सम्मान।
त्रेता युग सा दमक रहा है, आज अयोध्या धाम।
है उल्लास जगत मे ऐसा, थन थन जागे भाग्य,
भारत में आया है जैसे, फिर रामराज्य वो महान।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )