सत्यम शिवम् सुंदरम नाटिका (एकांकी) | Natika Satyam Shivam Sundaram
पात्र परिचय:
1) बूढी महिला उम्र 80वर्ष।
2) शिवानी उम्र 55 वर्ष। 3) सुंदरी उम्र 25 वर्ष।
4) सती उम्र 24 वर्ष।
5) भोलेनाथ उम्र 27 वर्ष।
6) कामवाली महिला उम्र 40 वर्ष।
7) काम वाली लड़की उम्र 20 वर्ष।
8) वकील उम्र 38 वर्ष।
मंच व्यवस्था:
एक बड़ा सा भव्य हॉल। आलीशान झूमर ऊपर झूम रहा है। झूमर से रंग बिरंगी रोशनी फैल रही है। दो बड़े-बड़े सोफे पड़े हैं । सोफों के बीच में सुंदर कांच की टेबल पर लेटे हुए शेर की मूर्ति है। कॉर्नर में बड़ी-बड़ी दो हाथी की मूर्तियां रखी हैं।
साइड की दीवार के सहारे तीन बड़ी बड़ी देवियों की मूर्तियां खड़ी हैं। पहली मूर्ति पर लिखा है सत्यम दूसरी मूर्ति पर लिखा है शिवम तीसरी मूर्ति पर लिखा है सुंदरम।
एक कामवाली झाड़ू लगाती हुई (सादी सीधे पल्लू की साड़ी पहने सर पर पल्लू लिए हुई)
दूसरी कामवाली डस्टिंग करती हुई। (टिप टॉप मॉडर्न टाइप की गर्ल) बहुत ही साफ सफाई से ग्लास का टेबल उस पर रखी शेर की मूर्ति, सोफे और हाथियों की डस्टिंग करती हुई ।
साइड में एक दीवान पर बहुत ही बूढ़ी महिला, (जर्जर काया) अकेली लेटी हुई है । कुछ बड़बड़ा रही है । तभी हॉल में एक अधेड़ उम्र की महिला का प्रवेश। उसे देखते ही बूढ़ी महिला “शिवू यहां आओ। यहां आओ ।मेरे पास बैठो । मेरे पास बैठो।”
शिवू ( इग्नोर करती हुई) ऊपर सीढ़ियों पर टपाक टपाक चढ़ती हुई अपने रूम में जाती हुई।
दोनों कामवालियां शिवू को ऊपर जाते हुए देखती रहती हैं और नाक भौंह चढ़ाकर उसके दुर्व्यवहार पर अफसोस जाता रहीं हैं । (आपस में एक दूसरे को इशारे कर करके)
फिर एक कामवाली बूढ़ी महिला के पास आती है और बोलती है_”माताजी आपको कुछ चाहिए?”
बूढ़ी महिला “हां ”
कामवाली “क्या चाहिए? पानी दूं?”
बूढ़ी महिला “नहीं”
कामवाली ” खाना दूं?” बूढ़ी मां ” नहीं ”
कामवाली “चाय बना दूं?”
बूढ़ी महिला “नहीं” दूसरी कामवाली ” तो माताजी आपको क्या चाहिए?”
बूढी महिला “शिवू। शिवू को बुलाओ । शिवू.. शिवू.. ( जोर से बोलती हुई) मेरे पास आओ बेटी। बैठो मेरे पास।”
शिवू को बुलाना कामवालियों के बस की बात नहीं है । पहले भी एक दो बार उसे बुलाने ऊपर गई थीं। पर उसने उन्हें डांट दिया था और कहा था कि ” मुझे कभी भी मम्मी की बातें मत बताना वह बुदबुदाती रहती है। बोलती रहती है।
मुझे परेशान करती रहती है। मेरे पास उसकी बातें सुनने का ना तो समय है। और ना ही मेरे पास इतना धैर्य है कि मैं उसकी बातों को कान लगा कर ध्यान से सुनूं । ”
दोनों कामवालियां बूढ़ी महिला की बेबसी और मजबूरी को महसूस करती हुईं अपने अपने काम में फिर से लग जाती हैं।
बूढी महिला “शिवू मेरे पास आओ । ..शिवू मेरी बात सुनो।”
बोलती रही । 10 बार। 20 बार। लेकिन उनकी शिवू उनकी बात सुनती नहीं ।
वह नीचे आई भी नहीं।
प्रकाश मद्धम
क्षणिक प्रकाश गुल।
दृश्य परिवर्तन।
बादल छाए से हैं। प्रकाश मद्धम मद्धम सा है।
जोर-जोर से हवाएं चल रही हैं । पर्दे हिल रहे हैं। दरवाजे और खिड़कियों से हवा के टकराने की साएं साएं आवाजे आ रही हैं। खिड़कियों से भी आवाज आ रही हैं । ऐसे में ही परदों के बीच से सफेद लॉन्ग फ्रॉक पहने एक अल्हड़ लड़की का प्रवेश।
कुछ गुनगुनाती हुई। अल्हड़ सी चलती हुई आंटी आंटी बोलती हुई, कामवालियों को काम में मगन देखती हुई सीढ़ियों की तरफ चढ़ने को ही होती है कि वह बूढ़ी महिला की आवाज़ सुनती है। “शिवू आओ बेटा मेरे पास बैठो। शिवू आओ बेटा मेरे पास बैठो ।”
सती के कदम सीढ़ियों पर पैर रखते ही ठिठक जाते हैं और वह पीछे मुड़कर सीढ़ियों से उतरकर दीवान पर लेटी हुई बूढ़ी महिला को देखती हुई _” नानी मां। नानी मां क्या हुआ? आप आंटी को बुला रहे हो? शिवानी आंटी को?”
बूढ़ी महिला (बहुत प्यार से उसे देखती हुई)” हां बेटा मैं अपनी बेटी शिवानी को ही बुला रही हूं मैं उसे बचपन से ही प्यार से शिवू बुलाती हूं। उसको अपने साथ बिठाना चाहती हूं। पर देखो ना मैं कब से बुला रही हूं ।
रोज बुलाती हूं । वह कभी नहीं आती मेरे पास । वह मेरे पास नहीं बैठती। मुझे उसके पास बैठना है। उससे बातें करनी है। .. वह बातें नहीं करती। मैं किस से बातें करूं ??? ”
(लड़की) सती आश्चर्य के भाव चेहरे पर लाती हुई ” नानी मां। शिवानी आंटी आपसे बात नहीं करती ??”
बूढी महिला “नहीं। कभी नहीं करती। मैं बहुत बोर होती हूं ।”
धीर गंभीर आवाज में सती बोलती है “नानी मां तो आप मुझसे बात करो। मैं आपसे बात करूंगी ।”
बूढी महिला “तुम मुझसे बात करोगी। तुम मुझसे बात करोगी । खुश होते हुए फिर मुझे उठाओ। (अपना हाथ सती को पकड़ाती हुई) मुझे बिठाओ।
सती (बहुत प्यार से नानी मां का हाथ पकड़ कर उनको दीवार से टेक लगाते हुए पिलो का सहारा देते हुए) बहुत ही प्यार से बोलती है ” नानी मां आप कैसी हो ? आप क्या चाहती हो? मैं आपको अपने कॉलेज की कुछ बातें बताऊं ?”
बूढी महिला “हां बेटा। मुझे सुनाओ अपनी सहेलियों की बातें। कॉलेज की बातें ।
पढ़ाई लिखाई की बातें। खेलने की बातें। फिल्मों की बातें। मेरे कान तरस गए हैं। कुछ बातें सुनने के लिए ।अच्छी-अच्छी बातें मैं सुनना चाहती हूं। सुनाओ सती बेटा ।”
सती ” अपने सहेलियों की कॉलेज की टीचर्स की अपनी सब्जेक्ट की कुछ-कुछ बातें बताती रही। उसके होंठ हिलते रहे।
बूढ़ी महिला ” हां । हां ।” (उनकी गर्दन हिलती रही। बहुत खुश होती गई। बहुत देर तक सुनती रही।
सती ” अब नानी आप एक कहानी सुनाओ।”
बूढ़ी महिला ” कहानी तो याद नही पर एक कविता मुझे कुछ कुछ याद है। वही सुनाती हूं। कविता का नाम है
भले लोग
“सगे खूनी रिश्ते ही भले हों ,
यह जरूरी नहीं।
पराए भी होते हैं बेहतर अपनों से।
रंग तो बाग के हर फूल मे ही है।
खुशबु मगर किसी किसी में है।
दिखावे की चमक से
कभी भी
घर नहीं चमकता।
आपका व्यवहार और प्यार से ही घर है चमकता।” 2
फिर धीरे से प्यार से सती का हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोलती हैं “बेटा तुम बहुत अच्छी हो ।तुमने मेरी बातों को सुना। अपनी बातें तुमने सुनाई। आज मेरी बहुत बोरियत कम हो गई। बस आज के लिए इतना ही । अब मैं लेटना चाहती हूं ।आराम करना चाहती हूं । मुझे लिटा दो।”
सती ” हां नानी मां। आओ आपको मैं लिटा देती हूं। आपको पानी पी कर सोना है? लो थोड़ा सा पानी पी लो।”
बूढी महिला ने पानी पिया। सती के सर पर हाथ रखा और सो गई । तुरंत ही खर्राटों की आवाज आती है । हू.…ह…नु…फफ…।
प्रकाश मद्धम मद्धम
प्रकाश गुल (क्षणिक)
दृश्य परिवर्तन
सती धीरे धीरे सीढ़ियों पर चढ़ती हुई ऊपर शिवानी आंटी के पास जाती है। और सारी बातें बताती है ( नानी मां के बारे में)
शिवानी ( उसकी बातों को सुना अनसुना करते हुए ” तुम अपने काम पर फोकस करो। उन पर नहीं।”
सती (बहुत भोलेपन से) ” आंटी मैं अपने काम पर ही फोकस करना चाहती हूं और आज से मेरा काम यही है कि मैं नानी मां की सेवा करूं। उनकी की बोरियत कम करूं क्योंकि मैंने अपने वैकल्पिक हिंदी सब्जेक्ट में एक कहानी पढ़ी थी जिसमें लिखा था कि बड़े बूढ़ो को भी बातें करने की चाहत होती है ।आज से मैं यह काम अपने हाथ में ले रही हूं कि मैं रोज नानी जी के पास आया करूंगी उनके साथ बातें करूंगी ।उनकी बातें सुनूंगी ।उनकी बोरियत कम करूंगी। ”
शिवानी उसको आश्चर्य से देखते हुए , साइड में मुंह करके नीचे चली जाती है। यह कहते हुए _”तुम्हारा फ्रेंड भोले आज भी नही आया। उसकी छुट्टियां कैंसिल हो गई हैं।”
सती “आंटी उसका फोन भी नहीं लग रहा।”
शिवानी ” पता नहीं मुझे। मैं जल्दी में हूं । मुझे पार्टी में जाना है। चली जाती है।”
सती हतप्रभ खड़ी बेपरवाह आंटी को जाते हुए देखती रहती है।
प्रकाश मद्धम
क्षणिक प्रकाश गुल।
दृश्य परिवर्तन
वही सुसज्जित हाल जिसमें दीवान पर बूढी महिला ( प्लेट में रखें खाने को देखती है। फिर कटोरी में रखी सब्जी को प्लेट में उड़ेल देती है क्योंकी सब्जी बहुत गर्म है। ) ” सब्जी इतनी गर्म गर्म डाल रखी है।”
कटोरी की सब्जी प्लेट में उड़ेलते हुए कटोरी में थोड़ी सी सब्जी लगी रह जाती है। कटोरी को वह बेड पर ही रख देती है। जिससे बेडशीट में सब्जी लग जाती है।
उन सब चीजों से अनजान होकर बूढी महिला धीरे-धीरे रोटी मिलाकर सब्जी में और फूंक फूंक कर खाती रहती है । कुछ सब्जी और रोटी उसके हाथ से गिरकर बेड पर गिर जाती है ।. ।
फिर वह प्लेट को बड़ी मुश्किल से साइड में रखे मेज़ पर रख देती है । इतने में ही शिवानी यानी शिवू की बेटी सुंदरी का घर में प्रवेश ।
यह देखते ही कि नानी ने हॉल के बेड की बेडशीट पर सब्जी गिरा दी है। वह गुस्सा होकर बोलती है_” नानी आप ध्यान से खाना नहीं खा सकती हो? सारी बेडशीट आ पने गंदी कर दी है । अब यह बेडशीट मुझे मशीन में डालनी पड़ेगी। नहीं तो शाम को मम्मी आएंगी तो आपको भी और मुझे भी डांटेंगी।”
बूढ़ी महिला आंखे मूंदे लेटी रहती है।
सुंदरी नानी।
बूढ़ी महिला आँखें मूंदे लेटी रहती है।”
सुंदरी ” (बूढ़ी महिला को झकझोरते हुए अपनी बात जोर जोर से दोहराती है।)
बूढ़ी महिला _” ( जागते हुए) नहीं बेटा गिर गई होगी। मैंने जानबूझकर नहीं गिराई।”
सुंदरी “अब उठो। अब यह बेडशीट मुझे निकालनी है ।”
बूढ़ी महिला ” मैं अभी-अभी लेटी हूं बेटा अभी मुझसे उठा न जाएगा । शाम को उठूंगी तब बेडशीट निकाल लेना।”
सुंदरी ” नहीं आप अभी उठो।..आप मुझे और मम्मी को बहुत परेशान करती हो। जोर-जोर से चिल्लाने लगी ।”
इतने में ही सुंदरी के भाई भोलेनाथ की सहेली सती का प्रवेश।
सुंदरी की तेज तेज क्रोधित आवाजों को सुनकर वह अवाक रह जाती है । फिर वह धीरे से बूढी महिला के पास आकर बोलती है_” नानी जी आप धीरे से साइड में हो जाइए।
मैं बहुत धीरे से बेडशीट को आपके नीचे से सरका लूंगी।” वह बेडशीट को सरका लेती है फिर दूसरा बेडशीट लेकर आधी ही बेड पर बिछाकर नानी को साइड में लुढ़का कर फिर से बेडशीट पुरानी वाली निकाल कर नई वाली को बहुत ही करीने से पूरे बेड पर बिछा देती है।फिर अपने बॉयफ्रेंड की बहन सुंदरी को कहती है ” सुंदरी तुमने नानी से इतने गुस्से की आवाज में बात क्यों की ?
इट्स नोट फेयर। यू डोंट नो हाउ टू बिहेव विद ओल्ड पर्सन्स?..आपको पता होना चाहिए । बड़ो से कैसे बात करते हैं।..मैंने आज ही कहानी में पढ़ा था कि बड़े बूढ़ों के हाथ पैर कांपने लगते हैं। उनका बैलेंस खराब हो जाता है।
इसलिए खाना नीचे गिर जाता है ।जैसे कि छोटे बच्चों का खाना उनके हाथ से नीचे गिर जाता है । तब उनकी मां बच्चों की हर गलती को माफ करती है । वैसे ही हमें भी बड़े बूढ़ों की हर गलती को माफ करना चाहिए । न कि उन्हें डांटना चाहिए ।”
सुंदरी ” यू डोंट नो एनीथिंग अबाउट हर। ये यह सब जानबूझकर करती है। मुझे परेशान करने के लिए और मम्मी को परेशान करने के लिए। ये हम दोनों को बहुत परेशान करती हैं। ऊपर से कुछ सुनती भी नहीं है ।
बहरी होने का नाटक करती है। इन्हें दिखाई भी इतना कम नहीं देता कि इनको सब्जी गिरी हुई चद्दर पर नही दिखाई देती?” कहते कहते वह
टपाक टपाक सीढ़ियां चढ़ती हुई ऊपर चली जाती है ।
बूढ़ी महिला और सती नीचे बैठे रहते हैं।
प्रकाश मद्धम
और मद्धम
पर्दा गिरा।
पर्दा उठा
म्यूजिक चल रहा है हॉल में सजावट हो रही है। आज सुंदरी का बर्थडे है। इसलिए साफ सफाई जोरों शोरो से चल रही है। शिवानी बूढी महिला से कह रही हैं । “मां तुमसे बहुत बदबू आ रही है।”
सुंदरी_”नानी। हां तुम नहाती नहीं हो इसलिए बहुत बदबू आ रही है। जाओ नहा लो ”
बूढ़ी महिला “हां आज मैं नहाउंगी । पर कैसे नहाउंगी मुझसे चला नहीं जाता ।”
सुंदरी “यह लो टॉवल अच्छे से पोंछ लो शरीर। .. इतना तो कर सकती हो ।”
बूढ़ी महिला ” हां बेटा करूंगी। ला टॉवल । यहां रख दे ।
..शिवू मैंने अपने हाथ दोनों और पैर दोनों पोछ लिए। मुंह भी पोंछ लिया। अब तू मेरी पीठ पोंछ दे ।”
शिवू_” मां मेरे पास बहुत सारे काम हैं। आज मेहमान आ रहे हैं । इसके फ्रेंड्स आ रहे हैं बहुत सारा काम बाकी है मैं यह सब नहीं कर सकती ।”
बूढी महिला ” सुंदरी सुंदरी आजा बेटा तू ही मेरी पीठ पीछे से साफ कर दे । मेरा सर भी धोना था ऐसे तो ( धीमे स्वर में)।”
सुंदरी “( वहीं से चिल्लाती हुई) नानी आप खुद करो । कर सकती हो । धीरे-धीरे हाथ पीछे लेकर जाओ। हो जाएगा ।”
बूढ़ी महिला बडबडाती है _ “बंजारी को बसाया तो हमे ही बेघर करने पर आ गए।”
इसके बाप ने तो घर दिया नहीं । मैने ही इन्हें अपने घर में रक्खा। और आज चाहते है मैं जल्दी से मर जाऊं। रोने लगी।”
इतने में सती का घर में प्रवेश।
सती ( धीर गंभीर मुद्रा में खड़ी होकर ” लाओ नानी मां मैं आपकी पीठ पीछे से पोंछ दूं ।”
बूढ़ी महिला (बहुत खुश होते हुए) ले बेटा सती ये टॉवल।”
सती टॉवल से नानी की पीठ पोंछती है और अच्छे कपड़े नानी को पहनाती है। उनका हेड वाश भी कर देती है । बालों को सुखाकर उनमें तेल लगा देती है।तेल लगा कर बाल बना देती है और उन्हें तैयार करके बेड पर लिटा देती है।
क्षणिक प्रकाश गुल।
दृश्य परिवर्तन।
सुंदरी आती है और बोलती है “नानी आप तो नहाई हो ना आज। फिर भी आपसे बदबू आ रही है । कैसे नहाई हो ? आपने अच्छे से साफ नहीं किया है।.. आप सच्ची में बहुत परेशान करती हो। पूरा घर महकेगा लेकिन मेरे फ्रेंड्स जो यहां आकर बैठेंगे तो आपसे उनको बदबू आएगी।”
शिवानी भी गुस्से में उनको देखते रहती है फिर ऊपर चली जाती है।
बूढ़ी महिला “(कुछ नहीं बोलती। मुंह नीचे लटका के लेटी रहती है। (रुआंसी हो होकर)
सती बूढ़ी महिला की बेबसी को महसूस करती रही। फिर उनको सांत्वना देने लगती है । ..फिर उनको दवाई उठाकर देने लगती है। त भी उसे दवाइयों के बॉक्स में एक पेपर मिलता है जिस पर लिखा है।
एक बूढी मां की मन की बात
“जब मैं बूढ़ी हो जाऊंगी, एकदम जर्जर , तब बेटी तुम क्या थोड़ी मेरे पास रहोगी? मुझ पर थोड़ा धीरज तो रखोगी न? मान लो, तुम्हारे महँगे काँच के बर्तन मेरे हाथ से अचानक गिर जाए या फिर मैं सब्ज़ी की कटोरी उलट दूँ टेबल पर, मैं तब बहुत अच्छे से नहीं देख सकूंगी न!
मुझे तुम चिल्लाकर डाँटना मत प्लीज़! बूढ़े लोग सब समय ख़ुद को उपेक्षित महसूस करते रहते हैं, तुम्हे नहीं पता?एक दिन मुझे कान से सुनाई देना बंद हो जाएगा, एक बार में मुझे समझ में नहीं आएगा कि तुम क्या कह रही हो, लेकिन इसलिए तुम मुझे बहरा मत कहना! ज़रूरत पड़े तो कष्ट उठाकर एक बार फिर से वह बात कह देना या फिर लिख ही देना काग़ज़ पर।
मुझे माफ़ कर देना, मैं तो प्रकृति के नियम से बूढी हो गई हूँ, मैं क्या करूँ बताओ? और जब मेरे घुटने काँपने लगेंगे, दोनों पैर इस शरीर का वज़न उठाने से इनकार कर देंगे, तुम थोड़ा-सा धीरज रखकर मुझे उठ खड़ा होने में मदद नहीं करो गी, बोलो? जिस तरह तुमने मेरे पैरों के पंजों पर खड़ा होकर पहली बार चलना सीखा था, उसी तरह?
कभी-कभी मैं चुप होना भूल जाऊंगी और बकबक करती रहूंगी, बेटी तुम थोड़ा कष्ट करके सुनना। मेरी खिल्ली मत उड़ाना प्लीज़। मेरी बकबक से बेचैन मत हो जाना। तुम्हे याद है, बचपन में तुम एक गुड़िया के लिए मेरे कान के पास कितनी देर तक भुनभुन करती रहती थी, जब तक मैं तुम्हे वह ख़रीद न देती थी, याद आ रहा है तुम्हे?
हो सके तो मेरे शरीर की गंध को भी माफ़ कर देना। मेरी देह में बुढ़ापे की गंध पैदा हो रही है। तब नहाने के लिए मुझसे ज़बर्दस्ती मत करना। मेरा शरीर उस समय बहुत कमज़ोर हो जाएगा, ज़रा-सा पानी लगते ही ठंड लग जाएगी।
मुझे देखकर नाक भौंह मत सिकोड़ना प्लीज़! तुम्हे याद है, मैं तुम्हारे पीछे दौड़ती रहती थी क्योंकि तुम नहाना नहीं चाहती थी? तुम विश्वास करो, बुड्ढों के साथ ऐसा ही होता है। हो सकता है एक दिन तुम्हे यह समझ में आए, हो सकता है, एक दिन!
तुम्हारे पास अगर समय रहे, हम लोग साथ में गप्पें लड़ाएँगे, ठीक है? भले ही कुछेक पल के लिए क्यों न हो। मैं तो दिन भर अकेली ही रहती हूँ, अकेले-अकेले मेरा समय नहीं कटता।
मुझे पता है, तुम अपने कामों में बहुत व्यस्त रहोगी, मेरी बुढ़ा गई बातें तुम्हे सुनने में अच्छी न भी लगें तो भी थोड़ा मेरे पास रहना। तुम्हे याद है, मैं कितनी ही बार तुम्हारी तोतली बातें सुना करती थी, सुनती ही जाती थी। और तुम बोलती ही रहती थी, बोलती ही रहती थी। मैं भी तुम्हे कितनी ही कहानियाँ सुनाया करती थी, तुम्हे याद है?
एक दिन आएगा जब बिस्तर पर पड़ी रहूंगी, तब तुम मेरी थोड़ी देखभाल करोगी? मुझे माफ़ कर देना यदि ग़लती से मैं बिस्तर गीला कर दूँ, अगर चादर गंदी कर दूँ, मेरे अंतिम समय में मुझे छोड़कर दूर मत रहना, प्लीज़!
जब समय हो जाएगा, मेरा हाथ तुम अपनी मुट्ठी में भर लेना। मुझे थोड़ी हिम्मत देना ताकि मैं निर्भय होकर मृत्यु का आलिंगन कर सकूँ। चिंता मत करना, जब मुझे मेरे सृष्टा दिखाई दे जाएँगे, उनके कानों में फुसफुसाकर कहूंगी कि वे तुम्हारा कल्याण करें। तुम्हे हर अमंगल से बचायें। कारण कि तुम मुझसे प्यार करती थी, मेरे बुढ़ापे के समय तुमने मेरी देखभाल की थी।
मैं तुमसे बहुत-बहुत प्यार करती हूँ बेटी, तुम ख़ूब अच्छे-से रहना। इसके अलावा और क्या कह सकती हूँ, क्या दे सकती हूँ भला।”
तुम्हारी मां
प्रकाश मंद मंद।
पर्दा गिरा ।
पर्दा उठा
अगले दिन सती बूढी महिला की लड़खड़ाती आवाज में उनके द्वारा लिखी उनकी मन की बात को रिकॉर्ड कर रही है।
प्रकाश मंद।
दृश्य परिवर्तन
शाम को बर्थडे के दिन दोस्तों के आने से जस्ट पहले सती ने मोबाइल से ऑडियो चलाई। रिकॉर्डिंग चल रही है जिसमे बूढ़ी महिला मन की बातें बोल रही हैं ।
आंटी शिवानी और उनकी बेटी सुंदरी ने रिकॉर्डिंग सुनी तो उन्हें उनकी गलती का एहसास हो गया । उनकी आंखें डबडबा आईं। वे रोती हुई दोनों घुटनों के बल मां और नानी ( बूढ़ी महिला)के पास बैठ गई । शिवानी यह कहकर पश्चाताप करती रही।_”मां तुम सबसे प्यारी हो तुम्हारी ममता की छांव सबसे निराली है।
तुम धूप में रहकर भी मुझे छांव में सुलाती थी । मुझे याद है तुम्हारी ममता भरी आंखें। मैंने देखने में देर कर दी। एक मैं हूं जो तुमसे ना मिलने आती हूं। यहीं ऊपर ही रहती हूं तुम्हारे ही घर में। तुमसे बातें ना करने के बहाने बनाती रहती हूं । तुम्हें इग्नोर करती हूं । तुम्हारी सुंदर सूरत एक नन्ही बच्ची जैसी लगने लगी है जैसे मेरे बचपन की एक नन्ही सी गुड़िया तुमने मुझे लाकर दी थी”
सुंदरी_”नानी । मुझे याद आ रहा है नानी तुमने मेरी हर जिद्द पूरी की थी और मम्मी की भी।..(रोते हुए आंसू पोंछेते हुए,हिचकी लेते हुए)
पर हम दोनों इतनी खराब हैं कि दोनों मिलकर भी तुम्हारी एक जिद्द भी पूरी नहीं कर पा रहीं । नानी तुम भगवान से भी प्यारी हो । तुम सबसे निराली हो क्योंकि तुम मां की भी मां हो।
हमें माफ कर दो। नानी हमें माफ कर दो ।”
शिवानी_”मां मुझे माफ कर दो । मां मुझे माफ कर दो।”
बूढी महिला_” तुम दोनों तो मेरी आंख के दो तारे हो और यह सती बेटी।आज से मेरे ध्वेते की पत्नी मेरी बेटी शिवू की बहू मेरी ध्वेती सुंदरी की भाभी और मेरी लाडली ध्वेता वधू । ये मेरी हीरा है। हीरा।
तुम तीनों को मेरा बहुत-बहुत आशीर्वाद। तीनों प्यार से खुशी खुशी रहो। सुंदरी तुम्हे जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं। तुम दिन दूनी रात चोगनी तरक्की करो। तुम्हे अच्छा जीवन साथी मिले।
तुम सबको और मेरे ध्वेते (जो अभी बाहर गया है नोकरी करने। ) को लंबी आयु मिले। सारी खुशियां तुम सबकी झोली में हों।..एक बात मेरी ध्यान से सुनो।”
सती, शिवानी ,सुंदरी ने ऊपर उठकर देखा तो वे बोलीं_” तुम तीनों इस घर की (ये जो तीन देवियां खड़ी हैं न दीवार के सहारे) तीन देवियां हो।
जिनका नाम है सत्यम, शिवम्, सुंदरम।
सती सत्यम है यानी सच्ची,सात्विक ,सतधर्मी यानी भलाई करने वाली।
शिवानी कल्याणकारी यानी मंगलमयि है।
सुंदरी सच ही मंगलमयि है।और वही सुंदर है।
सती,शिवानी,सुंदरी
यानी
सत्यम शिवम सुंदरम
क्षणिक प्रकाश गुल।
दृश्य परिवर्तन
शाम को घर में जोर जोर से डी जे बज रहा है।
धूमधाम से ,जोरों शोरो से,जन्मदिन मनाया जा रहा है। फ्रेंड्स आ रहे हैं। केक कट होता है। हैप्पी बर्थडे टू यू। हैप्पी बर्थडे टू सुंदरी । गॉड ब्लेस यू। गॉड ब्लेस यू। हैप्पी बर्थडे टू शिवानी।
सब तालियां बजाते हैं। खाना पीना ,डांस _फोटो खींचना, रील बनाना, नानी के साथ खूब मजे लेना ,फोटो खिंचवाना, नानी की बातें सुनना। मेन अट्रैक्शन बर्थडे का नानी ही रहीं। सभी ने नानी से बातें की। खूब हंसी मजाक हुआ .।
सभी बच्चे गिफ्ट देकर और रिटर्न गिफ्ट लेकर चले जाते हैं ।
क्षणिक प्रकाश गुल।
दृश्य परिवर्तन।
नानी ” सुंदरी तुम्हे मैं गिफ्ट कल दूंगी । शिवू कल सुबह 10:00 बजे वकील को बुलाना ।”
प्रकाश मद्धम ।
मद्धम।
पर्दा गिरा ।
पर्दा उठा ।
सुबह के 10:00 बजे हैं ।नानी आज मन से बहुत खुश हैं । सुबह की सूरज की किरणे भी नानी के चेहरे पर पड़ रही हैं।मन की खुशी की तरंगों से और सूरज की प्रातः कालीन किरणों से उनका चेहरा दैदीप्यमान हो रहा है।आत्मविश्वास व मानसिक संतुष्टि के साथ नानी वकील से कहती हैं। ”
(सती शिवानी और सुंदरी की मौजूदगी में ) वकील साहब मेरी एक दुकान जो दरियागंज में है ,उनके कागज पर सुंदरी का नाम लिखो।
इस घर पर जिसमें हम सब रह रहे हैं शिवानी का नाम लिखो।
ऊपर वाले घर पर मेरे ध्वेते भोले नाथ का नाम लिखो।और एक दुकान पर, जो मेन रोड पर है , उस पर सती का नाम लिखो।”
सती ( आश्चर्य से )” नानी आप यह क्या कर रही हैं? यह प्रॉपर्टी मेरी नहीं हो सकती। यह प्रॉपर्टी तो सुंदरी की ,भोले की और आंटी की ही होगी ।”
नानी “नहीं। ये तुम्हारी निजी प्रॉपर्टी है। ”
सुंदरी और शिवानी भी नानी और अपनी मां के निर्णय पर हतप्रभ रह जाती हैं। परंतु वे जल्दी ही समझ गईं।
सुंदरी सती को कहती है “सती तुम यह तोहफा जो नानी की तरफ से तुम्हें मिला है। उसे सहज स्वीकार करो। अगर तुम इसे स्वीकार करती हो तो हमारे ऊपर तुम्हारी अति कृपा होगी ।क्योंकि तुमने ही हमें सही रास्ता दिखाया है।”
शिवानी_” हां सती बेटा यह तुम्हारा हक है ।
मेरी मां ने तुम्हें बहुत प्यार से अपनी “ध्वेता बहू ” माना है । इसे स्वीकार करो । तुम मेरे बेटे के साथ साथ इस दुकान को भी संभालना । इस पर काम धंधे करना । यह तुम्हारी जिम्मेदारी है ।”
सती जायदाद के कागज लेते हुए कहती है “धन्यवाद ” और
नानी मां के पैर छूती है ।शिवानी आंटी के पैर छूती है। सुंदरी को गले लगाती है। सुंदरी भी उसको गले लगाती है। सुंदरी भी अपनी मां के पैर छूती है और नानी के भी पैर छूते हुए कहती है_ ” बहुत बहुत धन्यवाद। इस तोहफे के लिए ।”
फिर तीनों नानी के पास बैठ जाती हैं।उनके पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लेती रहीं। नानी भी तीनों के सर पर हाथ फेरती रही। कहती रही_”तुम तीनों सत्यम, शिवम, सुंदरम हो। अपनी राह से अपनी सच्चाई से कभी अडिग मत होना। इस घर की तुम ही तीन देवियां हो सत्यम, शिवम, सुंदरम । जो सच है वही शिव है और जो शिव है यानी कल्याणकारी है वही सुंदर है ।
याद रखना तुम तीन देवियां ही सत्यम, शिवम ,सुंदरम हो। उनके सर पर हाथ फेरती रहीं। धीरे-धीरे उनके हाथ रुकने लगे । अचानक हाथ रुक जाते हैं। वह लुढ़क सी जाती है।
तीनों ने जब ऊपर देखा तो नानी ( बूढ़ी महिला) जा चुकी थी इस दुनिया को छोड़कर ।
ये देखकर तीनों दहाड़ मार कर ,पछाड़ खाकर नानी पर गिर पड़ीं। रोती रहीं । रोती रहीं।
प्रकाश मंद मंद।
पर्दा गिरा।
बैकग्राउंड में गाना चल रहा है :
“सत्यम शिवम सुंदरम।
सत्य ही ईश्वर है।
ईश्वर ही सत्य है।
सत्य ही सुंदर है।
सत्यम,शिवम, सुंदरम ।
सत्यम शिवम सुंदरम।”
समाप्त
डॉक्टर सुमन धर्मवीर
विशाखापत्तनम