उनसे उम्मीद कैसी | Unse Umeed Kaisi
उनसे उम्मीद कैसी
( Unse Umeed Kaisi )
उनसे उम्मीद कैसी वफ़ा की जनाब।
बात है जिनके लब पर दग़ा की जनाब।
यार नाख़ुश हैं अग़यार भी हैं ख़फ़ा।
कौन सी हम ने ऐसी ख़ता की जनाब।
ठीक हो कर वही दिल दुखाने लगे।
रात-दिन जिनकी हमने दवा की जनाब।
जिसके शैदाई हैं एक मुद्दत से हम।
यह है तस्वीर उस दिलरुबा की जनाब।
यूं न शर्माइए कुछ तो फ़रमाइए।
वज्ह कोई तो होगी सज़ा की जनाब।
कर लिया जब यक़ीं आपकी बात पर।
क्यों क़सम खा रहे हो ख़ुदा की जनाब।
जिसकी आयी तो आ कर रही बाख़ुदा।
राह रोकी है किसने क़ज़ा की जनाब।
सबसे लेते रहो तुम दुआएं फ़राज़।
कोई क़ीमत नहीं है दुआ़ की जनाब।
पीपलसानवी
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