Watan ke Liye

वतन के लिये

( Watan ke liye )

 

जान देंगे हमेशा वतन के लिये ?
हम जीयेंगे यूं ही इस चमन के लिये

देश ने दी है तहजीब ऐसी हमें
सर झुकेगा सदा इस नमन के लिये

सैनिको के लिये जीत का जश्न है
रौनके है नहीं अंजुमन के लिये

सरहदों पर करे है हिफ़ाज़त सबकी
ख़त लिखा है उसने उस सजन के लिये

सरहदें पार करने न देंगे कभी
हर अदू से लड़ेंगे वतन के लिये

इसलिये झंडे को मैं करता हूँ सलाम
हूँ दीवाना इसके बांकपन के लिये

बस यही मेरी ख़्वाहिश है आज़म सदा
सर झुके ये वतन को नमन के लिये

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

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