अजब दोस्ती के गजब चर्चे
अजब दोस्ती के गजब चर्चे
मुकद्दर से मिली छाह दोस्ती की l
जिंदगी से बुलंद राह दोस्ती की ll
मौत से भी छीन कर लाएँगे l
दोस्त की दोस्ती सभ में जगाएँगे ll
वफ़ा और दोस्ती का कोई मोल नहीं l
जब पता चला तो ओ मेरे पास नहीं ll
फिर से खड़ी हुई दुनिया मेरी l
पहला दर्पण तो दूजा दोस्ती मेरी ll
दोस्तों पर हमें नाज है l
यारी ही जिंदगी की साज है ll
दावे मुझें नहीं करने आते यारों l
एक जान है जभ चाहे लेलो यारों ll
ओ दोस्त हैं , मेरा ऐब नहीं l
ओ स्तुति हैं , मेरी निंदा नहीं ll
बे रंग सी होजाती जिन्दगी l
अपितु दोस्त की न होती बंदगी ll
जरुरी नहीं कि सफर शानदार हो l
जरुरी है कि हम सफर सच्चा हो ll
लाटरी केवल पैसों की ही नहीं होती हैं l
लाटरी तो अच्छे दोस्तों की भी होती हैं ll
गजब है रिस्ता बिन बोज का l
ये मरहम है जिन्दगी के हरदर्द का ll
” बदलगये ” शब्द सभ जोड़ते है l
लेकिन ,
सुदर गए मेरे दोस्त कौन कहते हैं ?
दोस्त की तारीफ कभी लिखी नहीं जाती l
जन्दगी की खासियत कभी बया कि
नहीं जाती ll
क्यूंकि ,
हर मोड़ पर मुकाम नहीं होता l
दोस्ती का कोई नाम नहीं होता ll
वाहिद खान पेंडारी
( हिंदी : प्राध्यापक ) उपनाम : जय हिंद
Tungal School of Basic & Applied Sciences , Jamkhandi
Karnataka
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