मेरा गांव | Mera Gaon
मेरा गांव
( Mera Gaon )
सबका दुलारा मेरा गांव ।
सबका प्यारा मेरा गांव ।
थका हारा जब भी आऊं ।
मुझको सहारा देता गांव ।
कितने ही देखे इसने बसंत ।
ना था जिनका कोई अंत ।
सबकी पीड़ा छुपाए सीने में ।
सब पे प्यार लुटाता मेरा गांव ।
पीपल बरगद पहचान है इसकी ।
कुआं बावड़ी सब जान हैं इसकी ।
ताया, चाचा की कहानी सुनाता ।
ताई चाची सा प्यार सीखाता गांव ।
पगडंडी से न अब जाता कोई ।
क्व़ाल चढ़ कर न आता कोई ।
फर्राटे मारती बस आती है अब ।
गांव से शहर हो गया मेरा गांव ।
स्लेट पोश बदल गए लैंटर बाले।
दुकानों के दरवाजे हो गए शटर बाले।
कट गए वजुर्गों के लगाए पेड़ पौधे।
कंक्रीट का जंगल वन गया मेरा गांव।
सुदेश दीक्षित
बैजनाथ कांगड़ा
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