Hanuman ji kavita

अतुलित बल धामम्

हनुमान जी महाराज अतुलित बलवान हैं। वे ऐसे बलशाली हैं जिसकी कोई तुलना न की जा सके। कई लोगों को लगता है कि हनुमान जी महाराज कैसे संपूर्ण पहाड़ को उखाड़ सकते हैं लेकिन शक्तिशाली, अखंड ब्रह्मचारी व्यक्ति के लिए सब कुछ संभव है। उसके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है।


आज का अक्सर वही बच्चे हनुमान जी महाराज जैसे लोगों पर उंगली उठाया करते हैं जिनके खुद का चरित्र का पता नहीं है। जिनकी आंखों के नीचे काला धब्बा है, आंखों में चश्मा चढ़ा हुआ है । कमर झुकी हुई है । 100- 50 दंड बैठक कर ले तो दो-चार दिन उठ बैठ ही ना पाए।


किसी की शक्ति का आभास स्वयं शक्तिशाली बनकर ही पाया जा सकता है। जो स्वयं निस्तेज हो वह क्या किसी की शक्ति का आकलन कर सकता है ।

हनुमान जी महाराज की बात छोड़िए उनका रोल अदा करने वाले दारा सिंह की शक्ति को देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जो व्यक्ति कभी भी पहलवानी में हारा नहीं ऐसा तेजस्वी ओजस्वी व्यक्ति ही हनुमान जी महाराज का रोल अदा कर सकता है।


वर्तमान समय में जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ रही है मनुष्य में निस्तेजता भी आ रही है। आधुनिकता मनुष्य को कमजोर और लाचार बना रही हैं । पिछले 5 दशकों में इतना बड़ा बदलाव हुआ है कि जो हमारे बाप दादा 50 किलो की बोरियां उठाकर एक-दो किलोमीटर चल फिर लेते थे आज हालात यह है कि 5 किलो भी लेकर चलना मुश्किल लगता है ।

यही नहीं बहुत से बच्चे तो पैदल टहलने , 10- 5 बार ऊपर नीचे सीढ़ी चढ़ने उतरने में हांपने लगते हैं।
अब तो छोटे-छोटे बच्चों में भी हृदय रोग , मधुमेह ,घुटने दर्द , कमर दर्द आदि होने लगे हैं। अर्थात एक ऐसी पीढ़ी निर्माण की ओर हम अग्रसर हो रही हैं जो कि कब जवानी आई, कब बुढ़ापा आया पता ही नहीं चलता ।

इस समय समाज में 20– 25 वर्ष के बूढ़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब एक निस्तेज व्यक्ति किसी शक्तिशाली व्यक्ति का आकलन कैसे कर सकता है ?

जब 10- 5 दशकों में इतना भारी परिवर्तन हो सकता है तो हमें यह विश्वास कर लेना चाहिए कि हनुमान जी महाराज जो आज से हजारों वर्ष पूर्व हुए थे जो की प्राकृतिक कंद मूल फल खाया करते थे उनमें अपरिमित शक्ति पाई जाती रही होगी।

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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