Bandhan
Bandhan

पात्र = 20 वर्ष की नवयौवना किट्टो (नायिका)
21 वर्ष रॉय (विलेन)
22 वर्ष साहित्यिक
नवयुवक (नायक)

किट्टो 20 वर्ष की खुशमिजाज एक चुलबुली अपनी मुस्कान की खुशबू से फूलों की भाति सबके दिलों में एक उमंग जगा देने वाली नवयौवना।

उसके केशों की लट हवा के झोंके से कभी माथे के इस ओर आ गिरे कभी उस ओर मानो उसके गालों को चूमने का साहस जुटा रही हो घनी पलकों से घिरी काली आंखें एक बार नजरे भर कर किसी को देख ले तो वही वह आंखों का शराबी हो जाए।

किट्टो की आंखों का काजल उसकी डिबिया से नैनो को और अधिक सुंदर बना देता था।
अभी किट्टो को नया-नया दाखिला मिला कॉलेज के दिन प्रारंभ हो गए किट्टो एक प्रभावी छात्रा के रूप में विख्यात थी जहां जाए अपनी छाप छोड़ आए‌।

किट्टो पढ़ने के अलावा कुछ और कभी सोच ही न सकी अपने भविष्य का चिंतन ओर घर के काम में उसका पूरा दिन कैसे निकल जाता पता ही नहीं चलता ।

नवयौवन जितना प्रभावी था हदय उससे भी अधिक संवेदनशील और प्रेम से भरा हुआ
अगर किसी अनजान को भी पीड़ा में देख ले तो घुटनों आशु न रुके।

बस एक ही कमी थी और वह था संवेदनाओं को संभाल पाना किट्टो से रात भर कलम घिसवा‌ लो अगर मंच पर बोलने लगे तो तालियों की आवाज से सेमिनार की दीवारें भी खुद बोल उठे की किट्टो तुमने तो मुझे भी अपना प्रेमी बना दिया स्वयं सेमिनार के लोग ऐसे खींचे चले आए जैसे चुंबक ने अपनी और किसी सिक्को को खींच लिया हो किसी भी समस्या को ठीक करने में माहिर किट्टो अपने अधिक संवेदनशील हृदय को कभी अपनी मुट्ठी में बांध ना सकी।

किट्टो की जिंदगी ने ऐसा खेल खेला जिसमें किट्टो चाह कर भी न जीत सकी‌।
किट्टो प्रेम से भरी एक ऐसी नवयौवना थी के अगर कोई प्रेम में प्राण भी मांग ले तो सोच ना सके किट्टो अपना प्रेम केवल अपने पति के लिए सुरक्षित रखती थी कभी किसी नवछरे युवक ने छेड़ा नहीं के किट्टो ने कभी उसको छोड़ा नहीं।

एक बार कोई गलती से आंखों से भी छेड दे तो जान की प्यासी हो जाए।
किट्टो ना देखे ना जाने बिना ही उस चेहरे से प्रेम करती थी जो उसने कभी देखा ही ना था एक दिन बैठे-बैठे पिताजी ने बोल दिया अपना प्रेम अपने पति के लिए संभाल कर रखना चाहिए और समय आने पर समर्पित कर देना चाहिए के नादान किट्टो जो अभी नन्ही कली थी समर्पण का अर्थ तक नहीं समझती थी ।

अपने पति को इस तरह मन में बसा लिया मानो जैसे जन्म का उद्देश्य ही यही हो 11 साल की कच्ची उम्र से इतना गहरा समर्पण कोई मजाक बात ना थी किट्टो अपना यौवन अपनी मुस्काती आंखें उसके पति के लिए ऐसे रखती जैसे कोई जौहरी चोरों के डर से हीरा छुपा कर रखता हो परंतु बदनसीब किट्टो को कहां खबर थी कि भागय कुछ और ही चाहता है।

सुहाना मौसम लहराती हवा सन‌ सन करती कानों में कोई गीत सा गुनगुना रही थी कि तभी किट्टो के हृदय का दरवाजा किसी ने ऐसे खटखटाया जैसे कोई ठहर कर आराम करना चाहता हो
बहुत दिन से प्यासा हो।

किट्टो…..आपका नाम क्या है?
नवयुवक….मेरा नाम,
मेरा नाम राय है।
किट्टो….मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं बड़े परेशान लगते हो।
राय….. मैं
किट्टो मैं, मैं आपसे।
किट्टो.…बोलिए क्या मदद चाहिए आपको।
राय……किट्टो आपकी आंखे इन आंखों में कोई उतरा नहीं क्या आज तक?
मैं तो इन कसीन आंखों को बस देखता ही रह गया आपके पांव आह, जी चाहता है आपके पैरों में बैठा रहू ओर बस देखता रहूं देखता रहूं देखता रहूं ।
किट्टो……ये क्या बोलते हो आपको लाज नहीं आती किसी से ऐसे बखान करते हुए मुझे लगा था मुझसे आप कोई मदद चाहते हैं परंतु आपका इरादा मुझे ठीक नहीं लगता खबरदार अगर एक शब्द और बोले जाइए यहां से मेरी पूजा का वक्त हो चला है।
राय……. लम्बी सांस भरते हुए उफ़ पंखुरी जैसे होठों से अंगारों की बरसात।
यह अंदाज तो उनके भी हृदय को चीर दे जो अपनी जवानी को दांतों के तले दबाए फिरते हैं।
किट्टो……गुस्से में चली जाती है।
दिन धीरे-धीरे बीत रहे थे कुछ समय बाद फोन की घंटी बजती है।

किट्टो……फोन उठाते हुए बोलती है कौन?
राय…… मैं राय ,कैसी हो किट्टो?
किट्टो……. आख़िर आप चाहते क्या हो मैं पुलिस को फोन लगा दूं‌।
राय…… पुलिस की आवश्यकता क्या मैं तो खुद आपके प्रेम की गिरफ्त में कैद होने के लिए तैयार हूं मैं आपसे प्रेम करता हूं किट्टो।
किट्टो….लेकिन माफ कीजिए मैं अपने पति से प्रेम करती हूं।
राय…….पति , सोचते हुए बोला पर आपका विवाह तो हुआ ही नहीं फिर पति कौन?
किट्टो……. प्रेम की पराकाष्ठा को आप नहीं समझ पाएंगे
मैं मेरे पति से प्रेम करती हूं।
राय…….आपका विवाह तो अभी नहीं हुआ है यह पति है कौन ?
किट्टो…… हां विवाह तो नहीं हुआ है परन्तु मेरे जो पति होंगे मैं उन्हीं से प्रेम करती हूं।
राय……..हाय, मेरा दिल एक ही तो है उसको कितनी बार जीतेंगी आप। मैं आपसे प्रेम करता हूं । रोते हुए किट्टो क्या मेरी पत्नी बनोगी?
किट्टो……क्या कहां आपने ?
राय…….. हां किट्टो मुझे अपने इन सुकोमल पैरों का दास बना लो
किट्टो……..आप आकर्षण के वशीभूत होकर मेरे पास आए हैं मैं पहले से ही अपने पति के चरणों की दासी हूं और मुझे आज के बाद संपर्क मत कीजिएगा।
राय……..आप कितनी कठोर दिल है मैं आपसे प्रेम की भीख मांगता हूं।
किट्टो……साहसी कभी भीख नहीं मांगते हासिल करते हैं कायरो की भांति बखान करना बंद कीजिए।
राय का प्यार अब सिर चढ़कर बोलने लगा था मैं किट्टो का दिल जीत कर रहूंगा।
समय बीतता गया उसने हार नहीं मानी।

किट्टो का दिल मॉम की तरह पिघल चुका था उसने जो प्रेम बचपन से संभाल कर रखा था वह अब राय को समर्पित कर दिया किट्टो की मांग भरने की जब राय ने बात कहीं ओर उसकी मांग अपने हाथों से भर कर उसको सुहागन बना दिया अब किट्टो ने अपना प्रेम राय को समर्पित कर दिया। हमेशा के लिए उसको अपना पति मान लिया।

समय गुजरा राय किट्टो पर जान छिड़कता था और किट्टो भी बहुत जी जान से अपने पति को चाहती थी कभी उसका पति रूठ गया सोचकर किट्टो के तो प्राण ही सुख जाते थे।

दिन बितते गए समय ने करवट बदल दी किट्टो का पति अब किसी और के आकर्षण में पिघलने लगा था कभी किट्टो से बहाने बनाता कभी झूठ बोलता ।
किट्टो सब समझती फिर भी चुप रह कर सहती सब संभाल लेती पर हृदय की संवेदना ना संभाल पाती
वह अपने पति का इंतजार करती कभी रोती कभी आहे भरती मन ही मन में कुड़ने लगी थी।
किट्टो का पति शहर कि तवायफ़ से मिलकर आता किट्टो को मालूम पड़ने पर किट्टो की छाती दर्द से कराह जाती।
“अब चिंता हाय किसे न खाए”
किट्टो ने 11 वर्ष की उम्र से जो प्रेम संभाल कर रखा था उसको सोच-सोच कर हड्डियों का ढांचा बनती जा रही थी जो पति का प्रेम उसके हृदय में उफाने खाता था आज वह प्रेम उसके हृदय को किसी सर्प की भांति डस रहा था ।

फिर भी किट्टो का प्रेम कम ना होता अब वो किट्टो जो गलती के बिना कभी झुकती ना थी चट्टान की भांति अडिग खड़े रहने का साहस रखती थी आज किट्टो के हृदय की संवेदनाएं वेदना में बदलकर अपने सुहाग की भीख मांग रही थी‌।

परंतु अगर पति एक बार अपनी सुहागन का पल्लू छोड़ दे फिर उसको रंगीन महफिलों के अलावा कुछ नहीं भाता।

किट्टो को बेशक पति का प्रेम न मिले किट्टो के पांव में गिर कर जब माफी मांगता तो सब भूल जाती
परंतु किट्टो अंदर से बिल्कुल खोखली होती जा रही थी।

पति के प्रेम में इतनी पागल ना स्वाभिमान का ख्याल ना अस्तित्व की चिंता किट्टो का पति ही उसके लिए सब कुछ था चाहे किट्टो की जान ले ले बस किट्टो से उसके सुहाग को ना छीने
वैसे इस गलती को माफ करना किट्टो के स्वभाव में ना था।

परंतु पति के प्रति समर्पण का भाव जो उसके हृदय में बचपन से था वो उसको विवश कर देता।
जब किट्टो के आंचल को शब्दों से ताड़ ताड़ करता तो किट्टो अपने भाग्य को कोसती
किट्टो ना उससे दूर जा पा रही थी और ना जिंदगी से।

किट्टो की जिंदगी में फिर एक ऐसा नया मोड़ आता है जो किट्टो की जिंदगी को एक बार फिर से पूरी तरह से बदल देता है धीरे-धीरे फिर से प्रेम का संचार करता है।

एक साहित्य का नवयुवक जिससे किट्टो की मुलाकात कॉलेज के एक सेमिनार हाल में होती है जहां तुलसीदास और रत्नावली नाटक को नवयुवक प्रस्तुत करते हैं ।

किट्टो स्क्रीन पर चलते हुए नाटक को देख कर सोचती है काश वे मुझसे दूर इस बहाने से ही हो जाते कि मुझे भगवान में रुचि हो गई है तो मुझे पीड़ा ना होती परंतु फरेबी फरेब चाहता है भगवान नहीं‌।

वह साहित्य का नवयुवक किट्टो से हदय से प्रेम करता था उसकी नजर किट्टो पर रूकी हुई थी परन्तु अभी कुछ कह ना सकता था उधर किट्टो का हदय अपने पति के बारे में सोच सोच कर परेशान हो रहा था।

किट्टो….साहित्य कार्यक्रम में बैठी हुई बोली मैं अपने पति को नहीं ला सकी।
साहित्यिक नवयुवक…….खुद को किट्टो का पति इशारा करते हुए बोला कहीं आपकी बराबर में ही तो नहीं आपके पति।
किट्टो का हृदय इस वाक्य पर धक रह गया
वह समझ चुकी थी साहित्यिक नवयुवक के हृदय में क्या चल रहा है
इस वाक्य से किट्टो घर आकर बहुत रोई
क्योंकि किट्टो को इतना भी सुनना पसंद नहीं था कि कोई और ऐसा बोले
धीरे-धीरे समय बीतता गया किट्टो और उसके पति की सुलह ना हो सकी क्योंकि उसको प्रेम नहीं सिर्फ आकर्षण था और फरेब
किट्टो हर समझौता करने के लिए तैयार थी पर आंचल पर आंच नहीं।
उस साहित्यक नवयुवक को धीरे-धीरे किट्टो से प्रेम होता गया
किट्टो को भी अब ऐसे व्यक्ति की चाहत थी जो उसके आंचल को महफूज रख सके
जो किट्टो में वही आत्मविश्वास वही साहस और स्वाभिमान को जगा दे और फिर कुछ ऐसा ही हुआ

एक नई प्रेम कहानी अंकुरित हो भावनाओं की कसक को अपने अंदर समाहित कर रही थी
किट्टो अब जिंदगी से हार रही थी बस किसी से यही सुनना चाहती थी कि कोई कह दे कि मैं तेरा आंचल संभाल लूंगा या भगवान प्राण ले ले।

किट्टो के बचपन की वे भावनाएं वो प्रेम वो समर्पण बस सिसकियां लेकर अपने पति की तलाश में थी
और किट्टो के साथ ऐसा ही हुआ
वो साहित्यिक नवयुवक किट्टो की जिंदगी में एक नई किरण बनकर आया जिसके बिना किट्टो अंधकार में थी।

किट्टो पति की वेदना में तड़पती रोती पर उस साहित्यिक नवयुवक की एक न सुनती
वह किट्टो को बड़े प्यार से समझाता परंतु किट्टो फरेबी पति की वेदना में और रोए चली जाती
किट्टो ने जो प्रेम बचपन से हदय में संभाल कर रखा था अब वह नवयुवक क्या जाने
वो किसी को पति मानते ही लुट चुका।
किट्टो का हृदय कभी ऐसे न सहमा था

परन्तु जीवन की सच्ची दर्शनिकता को बताते हुए उस नवयुवक ने किट्टो को उस फरेबी बंधन का बोध कराया पहले भी कई लोगों ने कहा था कि किट्टो के साथ छल हो रहा है परंतु वह किसी की एक न सुनती और प्रेम में ऐसे डूबी रहती जैसे मछली जल में अगर प्रेम से बाहर निकाल देंगे तो प्राण त्याग देगी। और सत्य भी यही था अगर किट्टो को उसका पति ना मिलता तो सच में प्राण त्याग देती।

समय और उस नवयुवक ने किट्टो को जरा भी दर्द का एहसास न होने दिया
किट्टो को उसके पति ने अपने प्रेम से बिल्कुल वैसा बना दिया जैसी वह थी‌
किट्टो उसके फरेबी पति का दिया दुपट्टा वह कभी ना ओढ़ सकी थी
दुपट्टा किट्टो के नसीब से भी ज्यादा बदनसीब था क्योंकि फरेब में बंधे रिश्ते कभी भाव आत्मसात नहीं कर पाते है।

एक दिन किट्टो ने अपना सिंगार उतारा दुपट्टे में रख नदी में प्रवाहित कर दिया उसके जिंदा होते हुए किट्टो 21 वर्ष की उम्र में विधवा हो गई‌।
परन्तु किट्टो की मांग समय ने फिर सजा दी
कोई फरेबी, पति कहकर किट्टो को छल कर लें गया था‌।
किट्टो के आंचल को बचा कर किट्टो का उसके उस पति से जो विधाता ने उसके लिए बनाया था अटूट मिलन करा दिया।
परंतु किट्टो आज भी उस बचपन के भाव को लेकर कुड़ती है‌‌।

 

Shiwani Swami

रचनाकार: शिवानी स्वामी

गाजियाबाद, ( उत्तर प्रदेश )

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