बताया गया है
बताया गया है कि बारिश की तबाही से सौ मरे बताई जाती रही है इसी तरह चीख के गुबार में गायब होती जाड़े और लू से मरने वालों की संख्याएँ।
मालिकों ने बताया दासों की मौत के बारे में विषाक्त भोजन खाने वा मिलावटी शराब पीने से मरे।
हंटरों-जूतों-लातों और बलात्कारों के बारे में कोई नहीं बताता कोई नहीं बताता उन हिकमतों के बारे में मरने के पहले जिनसे मार दिया जाता।
भूख से तो कोई क्या मरेगा मैदानों-जंगलों में जब घास-पात हो पेट भरने के लिए अस्पताल या जेल में भी मरते हैं बीमारी से सड़कों पर दुर्घटनाओं के जबड़े में समा जाते हैं चलते-फिरते हाड़-मांस के लोथड़े या मुठभेड़ में मारे जाते हैं नाकारा निगोड़े ।
इतने सुभाषित हैं तिस पर फ़रिश्तों की असंख्य जुबानें।
कि जख्मी आत्माएँ सहमी दबी रह जाती हैं अभिनन्दनों को देखते रहते हैं।
फटी आँखों हाथों में पसीजकर रह जाते हैं भर्त्सना प्रस्ताव ईश्वर तुम्हारे पास क्या नहीं सब कुछ है कचहरी-दरबार तुम ही बनाते न्याय न्यायाधीश बन फिर सज़ा सुनाते हो तुम्हीं तुम ही सरकार, फौज, डॉक्टर, सिपाही, वकील पर प्रभु तुम उनमें कभी शामिल नहीं जो विषाक्त भोजन, मिलावटी शराब बारिश, जाड़े या धूप से मारे जाते हैं ।
प्रकृति! तुम जिस चतुराई से जेब, पेट और आत्मा पर छूरा चलाते हो उसी चतुराई से अपनी असंख्य जिहाओं से मरनेवालों की संख्या और मौत के खूबसूरत कारण बताते हो ।

बीएल भूरा भाबरा
जिला अलीराजपुर मध्यप्रदेश
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