बज्म-ए-सुखन पीपलसाना का भव्य आयोजन: हिन्दुस्तान के नामी शायरों ने लिया हिस्सा

बज्म-ए-सुखन पीपलसाना की जानिब से 12/7/2025 को एक आल इंडिया नातिया मुशायरे का आयोजन हुसैनी चौक पीपलसाना में किया गया जिस में हिन्दुस्तान के मशहूर-ओ-माअरूफ शोअरा-ए-इकराम ने जोश-ओ-खरोश के साथ हिस्सा लिया जिसकी सिदारत बिस्मिल भोजपुरी ने की और निजामत के फराइज सरफराज हुसैन फराज ने बा-खूबी अन्जाम दिए। शम्अ रोशन पूर्व जेल विजिटर इदरीस अहमद, अब्दुल हमीद बिस्मिल, नफीस पाशा, पैकर पानीपती, डा.आजम बुराक, फरहत अली फरहत, वाजिद अली, रियाज़ जमील आदि ने की।

मुशायरे का आगाज लाल मस्जिद के पेश इमाम हजरत नफीस साहब ने सूरह-रहमान और नाअत ए सरवर ए कोनैन से किया। शोअरा हजरात ने कलाम कुछ इस तरह पेश किए

गुलफाम सादिक ने कहा-

जो जालिम इब्ने-अली को सताने वाले हैं।
वो जुल्म शाहे-मदीना पे ढाने वाले हैं।

रजाउल हसन ने कहा-
मेरे प्यारे नबी मुझ पे हो ये करम।
अपना मक्का मदीना दिखा दीजिए।।

आजम बुराक ने कहा-

जब उठे मेरी नज़र गुम्बदे-खिजरा की तरफ।
उस घड़ी अपने मुक़द्दर को चमकता देखूं।

फरहत अली फरहत ने कहा-

रब के हबीब ने जिसे चूमा था बार-बार।
कितनी हसीन होगी वो सूरत हुसैन की।

अज्म शाकिर ने कहा-

उड़ी जो मदीने को मेरी फ्लाईट।
मेरा गमजदा दिल हुआ है डिलाइट।

नफीस पाशा ने कहा-

तुम्हारे मा-सिवा किसको पुकारें हम कहां जाएं।
नहीं दुनिया में कोई भी हमारा या रसूल अल्लाह।

माइल भोजपुरी ने कहा-

बज़्मे दिल अपनी अब में सजाने चला।
नक्शा तैबा का दिल में बसाने चला।।

मुफ्ती गुफरान सिरस्वी ने कहा-

मैं मुनहरिफ न होगा कभी सजदा गाह से।
कुछ भी छुपा नहीं है खुदा की निगाह से।

दावर मुरादाबादी ने कहा-

होगा कभी न जिक्रे-रसूले-करीम बन्द।
हो जाए चाहे कारे-जहाने-अजीम बन्द।।

नूर कादरी ने कहा-

रहमतों का जहां खज़ाना है।
आशियाना वहां बनाना है।।

तहसीन मुरादाबादी ने कहा-

लड़ाई मसलकों की खुल्द में लेकर नहीं जाती।
खुदाया फिक्र का हासिल सबक आमेज हो जाए।

नियाज अजीजी भोजपुरी ने कहा-

मदीना जाऊंगा इक दिन ज़रूर जाऊंगा।
के यह सफ़र तो मेरे हाथ की लकीरों में है।।

पैकर पानीपती ने कहा-

यूं तो कहने को ज़माने में कई आए रसूल।
रहमतुल्लिल आलमी बस आप कहलाए रसूल।।

सरफराज हुसैन फराज ने –

कर लिया तस्लीम सब नबियों न यह।
मुक्तदी हम मुक्तदा सरकार हैं।

बिस्मिल भोजपुरी ने कहा-

नफीस अहमद मदीना तुम को जाना भी मुबारक हो।
वहां से कर के उमराह लौट आना भी मुबारक हो।

इसके बाद सलाम-ओ-दुआ के बाद मुशायरा संपन्न हुआ। मुशायरे में सैकड़ों सामाइन मौजूद रहे और शोअरा हजरात को अपनी दाद-ओ-तहसीन से नवाजते रहे अन्त में पूर्व जेल विजिटर इदरीस अहमद ने सभी सामाइन और शोअरा हजरात का शुक्रिया अदा किया।

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *