भजन मातारानी का
भजन मातारानी का
तू है दुर्गा तू है काली तू है लक्ष्मी माता ।
तेरे सम्मुख दरस किसी का मन को नहीं सुहाता ।।
तेरे दर पर लगा हुआ है माँ भक्तों का मेला
कैसे तेरे दर्शन पाऊँ मैं नादान अकेला
मेले में हर चीज़ है लेकिन मुझपे नहीं है धेला
मुझ पर भी कुछ दया दिखा दे मेरी भाग्य विधाता।।
तेरे सम्मुख—-
शेरों वाली पर्वत वासिन तेरा ढंग निराला
फेर रहा हूँ कबसे मैया तेरे नाम की माला
धधक रही है मन के भीतर देख मिलन की ज्वाला
बिना दया के तेरी अब तो जीवन जिया न जाता ।।
तेरे सम्मुख—-
महादशा का योग दिखाये कालचक्र की पाती
कहीं खड़ा है राहू तो कहीं केतू फाड़े छाती
कहीं दिखाये आँखे मैया शनी की साढ़ेसाती
तेरे भक्तो पर माँ इनका दम्भ कहाँ चल पाता ।।
तेरे सम्मुख ——
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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