मां स्कंदमाता
( Maa Skandamata )
मां दुर्गा की आराधना की शुभ तिथि है आई,
शुभ नवरात्रि की आज पंचमी तिथि है आई।
मईया अपना पांचवा रूप अनुपम दिखलाई,
जग की माता है जो अब स्कंदमाता कहलाई।
कमल पुष्प लिए हुए चतुर्भुज स्वरूप में जग में छाई,
स्कंद को गोद में लिए हुए ममतामयी रूप दिखलाई।
स्नेह और ममता की मूरत मईया स्कंदमाता,
जप तप इनका मोक्ष मुक्ति की राह दिखलाता।
हे चतुर्भुजी मां जगदम्बे कल्याण हमारा कर दो,
सब शोक संताप मिटे सभी मोक्ष पाने का वर दो।
मेरी विनती तुम सुन लो मां मैं दुखों से हूं घिरा हुआ,
भवसागर से पार लगा दो मेरी नैया को इंसान मैं हारा हुआ।
हे शक्ति स्वरूपा जगदम्बा अब आस सिर्फ तुम्हीं पर है,
बिन तुम्हारी कृपा के मेरा जीवन हो रहा अधर है।
रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )