मां स्कंदमाता | Maa Skandamata
मां स्कंदमाता
( Maa Skandamata )
( 2 )
मां दुर्गा का पांचवा स्वरूपा,
नाम है जिनका स्कंदमाता।
मोक्ष का द्वार खोलने वाली,
माता है परम् सुखदायी।
सिंह है जिनकी प्यारी सवारी,
भक्तों की इच्छा पूर्ण करती।
स्कन्द कुमार कार्तिकेय की माता,
नाम पड़ा मां का स्कंदमाता।
अस्त्र कमल है वर्ण शुभ्र है,
कमल के आसन विराजे है।
कहलाती मां पद्मासना,
भक्त जो करते अराधना।
पाते परम् शांति व सुख,
हो जाते मोक्षद्वार सुलभ।
बारम्बार करें हम प्रणाम,
पापों से मुक्ति करो प्रदान।
नन्द किशोर बहुखंडी
देहरादून, उत्तराखंड
( 1 )
मां दुर्गा की आराधना की शुभ तिथि है आई,
शुभ नवरात्रि की आज पंचमी तिथि है आई।
मईया अपना पांचवा रूप अनुपम दिखलाई,
जग की माता है जो अब स्कंदमाता कहलाई।
कमल पुष्प लिए हुए चतुर्भुज स्वरूप में जग में छाई,
स्कंद को गोद में लिए हुए ममतामयी रूप दिखलाई।
स्नेह और ममता की मूरत मईया स्कंदमाता,
जप तप इनका मोक्ष मुक्ति की राह दिखलाता।
हे चतुर्भुजी मां जगदम्बे कल्याण हमारा कर दो,
सब शोक संताप मिटे सभी मोक्ष पाने का वर दो।
मेरी विनती तुम सुन लो मां मैं दुखों से हूं घिरा हुआ,
भवसागर से पार लगा दो मेरी नैया को इंसान मैं हारा हुआ।
हे शक्ति स्वरूपा जगदम्बा अब आस सिर्फ तुम्हीं पर है,
बिन तुम्हारी कृपा के मेरा जीवन हो रहा अधर है।
रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )