राष्ट्रभाषा बिना राष्ट्र गूंगा होता है!

राष्ट्रभाषा बिना राष्ट्र गूंगा होता है!

हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस बड़े ही हर्षोल्लास ढंग से मनाया जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के दो साल बाद ही 14 सितम्बर, 1949 ईसवी को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में एक ध्वनिमत से इसे पास किया और 26 जनवरी, 1950 ईसवी को देश के…

हिन्दी: कब बनेगी हमारी राष्ट्रभाषा?

हिन्दी: कब बनेगी हमारी राष्ट्रभाषा?

भारत एक विविधताओं का देश है और यही इसकी सबसे बड़ी पहचान है। यहां अनेक भाषाएं और बोलियां बोली, लिखी और पढ़ी जाती हैं। ऐसे में किसी भी एक भाषा को राष्‍ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। भारत की एक बड़ी आबादी हिंदी भाषी है मगर बड़ी संख्‍या में लोग हिंदी न बोलते हैं…

बिन पेंदी का लोटा | Bin Pendi ka Lota

बिन पेंदी का लोटा | Bin Pendi ka Lota

वर्तमान समय में देखा जाए तो हिंदू समाज बिन पेंदी के लोटा की भांति हो गया है। जिसने जैसा चाहा उसे वही मोड़ दे रहा है। उसकी श्रद्धा जैसे किसी एक जगह स्थिर नहीं रहती है। वह कभी राम जी को मानता है , तो कभी कृष्ण को तो , कभी दरगाह मजार पर चादर…

Hindi ki Sthiti

हिंदी बोलते समय इतनी शर्म क्यों ?

भारत ने स्थानीय भाषाओं में निवेश नहीं किया है, चाहे वह उच्च गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा हो या कला और साहित्य में निवेश हो। यदि हम आज यह निवेश करते हैं, तो हमारी सभी भाषाएँ फल-फूलेंगी, साथ ही उन पर हमारा गर्व भी होगा। जब तक हम यह निवेश नहीं करेंगे, शिक्षित पीढ़ी अंग्रेजी बोलती…

prem ka uddeshya

प्रेम का उद्देश्य : अडिग इंतज़ार अपनी दिकु का

हर इंसान का जीवन एक गहरी यात्रा है, और उस यात्रा का उद्देश्य उसके दिल की गहराइयों में बसा होता है। मेरा उद्देश्य भी वही है—दिल की गहराई से *दिकु* का इंतजार, उसकी यादों में जीना, और उसके लौटने की उम्मीद से अपने दिल को सुकून देना। किसी के प्रभाव में आकर उद्देश्य बदलना एक…

Curbing Digital Age Crimes

डिजिटल युग के अपराधों पर कैसे लगे लगाम?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार, साइबर उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि हुई है, विशेष तौर पर महिलाओं के खिलाफ, परंतु नई संहिता ऐसे अपराधों के लिए कड़े दंड निर्दिष्ट नहीं करती हैं। उभरती प्रौद्योगिकियों से निपटने में कमियाँ है, नए कानून उभरती हुई प्रौद्योगिकियों से संबंधित अपराधों, जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी घोटाले और…

महान कर्मयोगी: : योगेश्वर श्रीकृष्ण

महान कर्मयोगी: : योगेश्वर श्रीकृष्ण

श्री कृष्ण के नाम से कोई भी ऐसा भारतीय नहीं होगा जो उनसे परिचित न हो । उनका नाम अवतारी सत्ता के रूप में प्रमुखता के साथ लिया जाता है । जो व्यक्ति यह समझता है कि वह भगवान थे और उनके जीवन में कोई परेशानी नहीं होगी तो ऐसा नहीं है। श्री कृष्ण का…

जादूगर-सम्राट शंकर | कला के सच्चे उपासक

जादूगर-सम्राट शंकर | कला के सच्चे उपासक

जादूगर-सम्राट शंकर का हर शो पारिवारिक शो होता है। जादू ही एकमात्र ऐसा शो है, जिसके एक-एक महीने तक टिकट शो लगते हैं और भारी भीड़ जमा होती है। बड़े-से-बड़े सिंगर-डांसर इत्यादि के एक आध या दो प्रोग्राम ही होते हैं, जो पूरे परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते। शंकर अपनी कला के…

क्या देश में क्रिकेट अन्य खेलों को नहीं पनपने दे रहा?

क्या देश में क्रिकेट अन्य खेलों को नहीं पनपने दे रहा?

मीडिया और जनता का ध्यान अन्य खेलों में न के बराबर है। क्रिकेट पर मीडिया का अत्यधिक ध्यान अन्य खेलों को दरकिनार कर देता है, जिससे उनकी दृश्यता और प्रशंसक आधार कम हो जाता है। बैडमिंटन में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों के बावजूद , इस खेल को शायद ही कभी मीडिया का उतना ध्यान मिलता…

रक्षा बंधन के गीतों में भोजपुरी की खुशबू

रक्षा बंधन के गीतों में भोजपुरी की खुशबू

विदित हो कि रक्षा बंधन 19 अगस्त 2024 को पड़ने वाला है, इस अवसर पर भोजपुरी गीतों का स्वर गूंजने लगा है, और जिंदगी में खुशबू-सी आने लगी है। एक तरफ भोजपुरी गीत की स्वर साधिका सुष्मिता का एक गीत -“सोना में सोहागवा जइसे” और वहीं दूसरा गीत -“सावन मासे ए भइया उचरेला कागवा” श्रोताओं…