साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ

साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ

साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ     साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ। मुश्किलों में ना कोई हमारा हुआ।।   देखते -देखते सब पराए हुए। वक्त आता नहीं सँग गुजारा हुआ।।   काम आया कभी जो वतन के लिए। इस जहां में सभी का वो प्यारा हुआ।।   पास आए सभी मांगने के लिए।…

मुशलशल अश्क बरसाया है पहली बार नहीं है

मुशलशल अश्क बरसाया है पहली बार नहीं है

मुशलशल अश्क बरसाया है पहली बार नहीं है     मुशलशल अश्क बरसाया है पहली बार नहीं है। बस इतना कह के चले जा कि मुझसे प्यार नही है।।   कत्ल करके मेरा कन्धे पे ले गया मुझको भला मैं कैसे कहूं मेरा मददगार नही है।।   जाके तन्हाई में इत्मिनान से पढ़ ले इसको,…

हर बशर जी रहा दर्द छुपाए हुए

हर बशर जी रहा दर्द छुपाए हुए

हर बशर जी रहा दर्द छुपाए हुए   हर    बशर   जी    रहा  दर्द   छुपाए  हुए। ग़म   किसी   भी  तरह  से  भुलाए  हुए।।   दाग़  किसको  दिखाएं  ना  आता  समझ। सब   नज़र   आ   रहे   चोट  खाए   हुए।।   साथ   देता    ना    कोई   बुरे   वक्त   पर। है      हमारे     सभी     आजमाए    हुए।।   हाल-ए-दिल क्या सुनाए किसी शख्स…

प्यार से मां बना रही रोटी

प्यार से मां बना रही रोटी

प्यार से मां बना रही रोटी     प्यार से मां बना रही रोटी हाँ खिलाती उल्फ़त भरी रोटी   हो रही मां गुस्सा बहुत मुझसे खा गया है कोई सभी रोटी   आया जब से परदेश में हूँ मैं याद आती मां की वही रोटी   इसलिए रह गया हूँ भूखा मैं चूल्हे पे…

मुझे मुहब्बत की वह ज़माना याद है

मुझे मुहब्बत की वह ज़माना याद है

मुझे मुहब्बत की वह ज़माना याद है     मुझे मुहब्बत की वह ज़माना याद है तुम्हारा हम से रूठ जाना याद है   तुम्हे याद हो के ना उसका याद हो हमें दिन रात का फ़साना याद है   उफ़्फ़ यह मुहब्बत का सजा भी अब तक हमको तेरा बहाना याद है   बीमारी-ए-दिल…

आया मौसम बसंत का

आया मौसम बसंत का

आया मौसम बसंत का (बंसत-पंचमी पर विशेष )   शीतल-मंद बयार बहाता आया मौसम बसंत का। अपनी खुशबू से महकाता आया मौसम बसंत का।।   कङकङाती-ठण्ड का भी अंत जैसे हो गया। कुदरत का श्रृंगार करता आया मौसम बसंत का।।   रंग-बिरंगे फूलों के संग रंग-बिरंगी तितलियां। भ्रमर कलियों पर मंडराता आया मौसम बसंत का।।…

ग़म के साये में पल रही दिल्ली

ग़म के साये में पल रही दिल्ली

ग़म के साये में पल रही दिल्ली   ग़म के साये में पल रही दिल्ली हाल पे अपनें रो उठी दिल्ली   हर तरफ़ देखो आग के शोले है दुश्मन से कब  सुरक्षित रही दिल्ली   प्यार की बारिशें नही होती नफ़रतों में हर पल  जली दिल्ली   क्या ख़ुशी से अब मुस्कुरायेगी हर चेहरे…

चल रहा है खेल गुल्ली डंडा देखो गांव में !

गुल्ली डंडा देखो गांव में | Poem on Gulli Danda

 गुल्ली डंडा देखो गांव में ! ( Gulli Danda dekho gaon mein )     चल रहा है खेल गुल्ली डंडा देखो गांव में ! शहर से चल देखने को तू गुल्ली डंडा गांव में   आ गया है याद दिल को अपना बचपन दोस्तो देखकर के गुल्ली डंडा बच्चों का ही गांव में  …

धूप उल्फ़त लेकर उगा सूरज 

धूप उल्फ़त लेकर उगा सूरज | Suraj Shayari

धूप उल्फ़त लेकर उगा सूरज  ( Dhoop ulfat lekar uga suraj )    धूप उल्फ़त लेकर उगा सूरज नफ़रतों का वो ढ़ल गया सूरज   दूर करके अंधेरे नफ़रत के प्यार की धूप दें रहा सूरज   आज मौसम में है वफ़ा ख़ुशबू पेश नरमी से ही हुआ सूरज   नफ़रतों को दिल से जला…

सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही

सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही | Ghazal Pyar se Zindagi

सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही ( Sach kahe pyar se zindagi loot rahi )      सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही नफ़रतों में अपनी है ख़ुशी लुट रही   बेवफ़ा के ख़ंजर मेरे है प्यार में देखो मेरे दिल की आशिक़ी लुट रही   दुश्मनी के चले तीर है रात दिन…