Chudiyan

चूड़ियां | Chudiyan | Kavita

चूड़ियां

( Chudiyan )

 

रंग बिरंगी हरी लाल खन खन करती चूड़ियां
नारी का अनुपम श्रृंगार सुंदर-सुंदर चूड़ियां

 

आकर्षण बढ़ाती चूड़ी पिया मन लुभाती चूड़ी
नारी सौंदर्य में चार चांद जड़ देती है चूड़ियां

 

गोल गोल लाल लाल सुंदरता बेमिसाल
हाथों की शोभा बढ़ाती हरी हरी चूड़ियां

 

रत्न जड़ित कंगना मीनाकारी हो शानदार
सोने-चांदी कांच की सब मिलती है चूड़ियां

 

पायलिया छन छन बाजे गले सुंदर हार साजे
छम छम कंगना बाजे ये खनखनाती चूड़ियां

 

मेहंदी रची हाथों में लगे चूड़ी मनभावन सी
पिया को पास बुलाती मन हरसाती चूड़ियां

 

सावन सी प्रीत उमड़े सिंधु लहराए प्रेम भरा
दो दिलों की धड़कनों में बस जाती है चूड़ियां

?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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झूले पड़ गए सावन के | Jhule pad gaye sawan ke

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