डॉ. सत्यवान सौरभ : छोटी उम्र से हरियाणा के साहित्यिक क्षितिज पर निरंतर सृजनरत
लेखन में भी संपादकीय लेखक के रूप में आपने विशिष्ठ पहचान कायम की है। सभी विधाओं पर आपका लेखन हरियाणा तक ही सीमित नहीं रह कर देश के संदर्भ में भी व्यापक स्वरूप लिए हैं। आपके आलेख और पुस्तकें तथ्यात्मक, सूचनात्मक और शोध परक होने से शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनकी रचनाएं बड़ी संख्या में हज़ारों सरकारी एवं गैर सरकारी पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। –ऋषि प्रकाश कौशिक
हरियाणा की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक नगरी और भिवानी की धरा बड़वा गाँव के निवासी समभावी और विचारशील लेखक डॉ. सत्यवान सौरभ का जन्म 03 मार्च 1989 को पिता श्री रामकुमार रिछपाल गैदर माता कौशल्या देवी के परिवार में सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ। आप चार भाई-बहन हैं।
आपका विवाह प्रियंका सौरभ से 2016 में सम्पन्न हुआ। आपके प्रारंभिक जीवन का परिवेश कभी भी उत्साहवर्धक नहीं रहा, परिस्थितियां हमेशा विषम बनी रही।
जीवन में उत्साह के परिवेश का उजास आपको जन्म के 22 साल बाद प्राप्त होने आरम्भ हुआ जब आपने सरकारी सेवा में प्रवेश किया और विभागीय कार्य करते हुए 2019 में राजनीति विज्ञान विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की तथा पीएच. डी. के लिए पंजीकरण करवाया। इनका लेखन और जीवन लोगों को इस कद्र प्रेरित करते हैं कि हर कोई ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि विपरीत परिस्थितियों पर धैर्य से जीत हासिल की जा सकती है।-
*तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात।
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगें हालात।।
तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार।
नाविक बैठे घाट पर, कब उतरें हैं पार।।
सुख-दुःख जीवन की रही, बहुत पुरानी रीत।
जी लें, जी भर जिंदगी, हार मिले या जीत।।*
सौरभ की उपलब्धियों पर उन्हें सैंकड़ों राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। लेखन में भी संपादकीय लेखक के रूप में आपने विशिष्ठ पहचान कायम की है।
सभी विधाओं पर आपका लेखन हरियाणा तक ही सीमित नहीं रह कर देश के संदर्भ में भी व्यापक स्वरूप लिए हैं। आपके आलेख और पुस्तकें तथ्यात्मक, सूचनात्मक और शोध परक होने से शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं।
इनकी रचनाएं बड़ी संख्या में हज़ारों सरकारी एवं गैर सरकारी पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। इसी दौर के समाचार पत्रों में ने निरंतर आपकी रचनाओं को प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है।
विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर सम्पादकीय और दोहे लिखने की महारत के फलस्वरूप इन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है।
तितली है खामोश (दोहा संग्रह), कुदरत की पीर (निबंध संग्रह), यादें (ग़ज़ल संग्रह), परियों से संवाद (बाल काव्य संग्रह) और इश्यूज एंड पैन्स (अंग्रेजी निबंध संग्रह) प्रज्ञान (बाल काव्य संग्रह), खेती किसानी और पशुधन (निबंध संग्रह) डॉ. सौरभ की प्रमुख पुस्तकें हैं। इनके साथ-साथ सैंकड़ों पुस्तिकाओं और स्मारिकाओं का लेखन, संपादन एवं प्रकाशन कर सृजन सन्दर्भों को समृद्ध किया है।
अपने कार्य-व्यवहार से इन्होंने सभी वर्ग के व्यक्तियों की हर संभव मदद की, उनकी समस्या और पीड़ा में भागीदार बने और छोटे-बड़े सभी से पूरा आदर एवं स्नेह भाव रखते हुए अपने सहज स्वभाव अनुरूप अपने कार्य को समर्पित रहे।
अपने जीवन में कर्म की प्रधानता को प्रमुख मानते हुए हमेशा कर्म को ही सच्ची पूजा माना। “मन चंगा तो कठौती में गंगा” और ” पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय” के वाक्यों को हमें जीवन का ध्येय माना।
आप निरन्तर सृजनरत तो हैं ही, समाज के सभी क्षेत्रों के प्रतिभाशाली और विशेषज्ञ व्यक्तियों, महिलाओं, बच्चों इत्यादि पर लिखते समय उन्हें प्रोत्साहन देने और प्रेरित करने का भाव सदैव मन में रखते हैं।
सदैव जिंदा दिल रहने की मुख्य वजह लेखन से प्राप्त ऊर्जा को मानने वाले डॉ. सौरभ नि:स्वार्थ भाव से लेखन को ही अपनी पूजा, धर्म और कर्म मानते हैं।
अन्ततः यही कि अपने आप को सृजनात्मकता में लीन करने वाले डॉ. सत्यवान सौरभ ऐसे विचारशील लेखक हैं जो सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों को सतत रूप से संस्कारित, पल्लवित और संरक्षित रखने की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं।
डॉ सत्यवान ‘सौरभ’
शिक्षा : डॉक्टरेट राजनीति विज्ञान एवं पशु चिकित्सा में डिप्लोमा; उर्दू डिप्लोमा।
जन्म वर्ष : 1989, सम्प्रति: वेटरनरी इंस्पेक्टर, हरियाणा सरकार एवं शिक्षण।
ईमेल : satywansaurabh333@gmail.com
सम्पर्क : परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045
मोबाइल : 9466526148, 01255281381
*अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों भाषाओँ में समान्तर लेखन।
प्रकाशित पुस्तकें : यादें 2005 काव्य संग्रह ( मात्र 16 साल की उम्र में कक्षा ग्यारह में पढ़ते हुए लिखा), “तितली है खामोश” दोहा संग्रह, कुदरत की पीर (हिंदी निबंध संग्रह), Issues And Pains, English Essays Collection, प्रज्ञान (बाल काव्य संग्रह), खेती किसानी और पशुधन (निबंध संग्रह)।
प्रकाशन : देश-विदेश की 10 हज़ार से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशन।
प्रसारण : आकाशवाणी हिसार, रोहतक एवं कुरुक्षेत्र से, दूरदर्शन हिसार, चंडीगढ़ एवं जनता टीवी हरियाणा से समय-समय पर।
संपादन : प्रयास पाक्षिक।
सम्मान/ अवार्ड :
1. सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन पुरस्कार हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी, 2004
2. हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड काव्य प्रतियोगिता प्रोत्साहन पुरस्कार, 2005
3. अखिल भारतीय प्रजापति सभा पुरस्कार, नागौर, राजस्थान, 2006
4. प्रेरणा पुरस्कार, हिसार, हरियाणा, 2006
5. साहित्य साधक, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, 2007
6. राष्ट्र भाषा रत्न, कप्तानगंज, उत्तरप्रदेश, 2008
7. अखिल भारतीय साहित्य परिषद पुरस्कार, भिवानी, हरियाणा, 2015
8. आईoपीoएसo मनुमुक्त ‘मानव’ पुरस्कार, 2019
9. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च एंड रिव्यु में शोध आलेख प्रकाशित, डॉo कुसुम जैन ने ‘सौरभ’के लिखे ग्राम्य संस्कृति के आलेखों को बनाया आधार, 2020
10. पिछले 20 सालों से सामाजिक कार्यों और जागरूकता से जुडी कई संस्थाओं और संगठनों में अलग-अलग पदों पर सेवा।
11. जिला प्रशासन भिवानी द्वारा सम्मानित 2022
12. ब्रिटेन, फ़िलीपीन्स, बांग्लादेश से डॉक्टरेट की मानद उपाधि 2022
13. विद्यावाचस्पति मानद पीएच.डी. साहित्य, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, बिहार 2023
14. पंडित प्रताप नारायण मिश्र राष्ट्रीय युवा साहित्यकार पुरस्कार, 2023
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