
झोपड़ी से एयरमैन की उड़ान
( Jhopdi se airman ki udaan )
एक छोटे से गाँव में एक बुढ़ा व निर्धन हरिया नाम का किसान रहता था हरिया मेहनती एवं ईमानदार था। मेहनत मजदूरी करके अपनी पत्नी एक लड़का एवम् पांच लड़कियो का पेट भरता था हरिया अपनी मेहनत और ईमानदारी के कारण आस-पास के गांव में काफी चर्चित था वह मकान की नींव खुदाई का काम करता था।
यू मानो जो काम वहां कोई नही करता उसे वह हंसी-खुशी कर देता। वह संघर्ष वाला कार्य करने में ज्यादा रुची लेता। लड़का (अविनाश) पांचो बहनों में बड़ा था। इसलिए पढ़ाई के साथ वह पिता के काम में हाथ बटाता था। वह भी पिता की जैसे मेहनती और पढ़ाई में अव्वल था।
वह पढ़ाई में होशियार होने के कारण उसके मित्र उसके घर पढ़ाई के लिए प्रश्न-उत्तर पूछने आया जाया करते। लड़का बड़ा होकर एयर फोर्स में एयरमैन बनना चाहता था। लेकिन अपने परिवार की ये हालत देखकर वह यह बात मन में ही रख लेता। एक घास-पूस से बनी झोपड़ी (घर) जिसमे सभी रहना, सोना, खाना, सब कुछ वही। परिवार में माँ और बाप बुड्ढे तथा घर में पाँच बहनें।
उसका दिमाग कम्प्यूटर की तरह तेजस होने के कारण बहुत बार अध्यापक भी उससे उत्तर पूछ लिया करते स्कूल मे होशियार होने के कारण उसकी फीस माफ थी घर पर देर रात तक लालटेन के प्रकाश में पढ़ाई किया करता था आकाश मे जब भी हवाई जहाज की ध्वनि सुनाई देती सभी-भाई बहन उसको देखने बाहर आ जाते। एक दिन सबसे छोटी बहन बोली भैया आप भी पढ़ाई करके हवाई जहाज में नौकरी लगना और हम सबको भी उसमें बिठाना।
बहन की बात अविनाश के दिल मे लगी उसने अब एक ही लक्ष्य बना लिया कि वायुसेना में नौकरी लगना है। वह पढ़ाई के साथ-साथ वायुसेना की गाईड लाकर पढ़ता जो उसके मित्र की थी।
रोजाना शाम को लाकर पढ़ता और सवेरे वापस दे देता। कुछ दिनों बाद अखबार और रेडियों पर वायु सेना में भर्ती की जानकारी मिली जो छात्र बाहरवीं में पढ़ रहे है वह भी आवेदन कर सकते है मेरे पापा दो फार्म लेकर आ गऐ है। तुम चाहो
तो एक फार्म लेलो और भर दो ये बात उसके दोस्त ने अविनाश को कही बात अच्छी लगी उसने बगैर देरी
किऐ एक फार्म भर दिया लेकिन… फोटो नहीं थी।
अविनाश उदास हो गया तभी उसकी माँ आई और बोली क्या बात है अविनाश… दोस्त बीच में ही बोला काकी में मेंरा वायुसेना का फार्म भर रहा हूँ मेरे पापा दो फार्म लेकर आ गऐ जो एक मेंने अविनाश को दे दिया लेकिन फोटो नही है और फार्म आज ही डाक द्वारा भेजना है। माँ ने मना कर दिया नही-नही हमें नहीं भरना फार्म वारम।
इतने में वही छोटी बहन आई और बोली माँ भरने दो ना हवाई जहाज में नौकरी का फार्म..हमें तो पढ़ा नही रही हो कम से कम भैया को पढ़कर नौकरी लगने दो। फिर हम सब मज़े से रहेगे। जहाज मे घूमेंगे मकान, अच्छे कपड़े, और दीदी की
शादी के लिए भी पैसे चाहिए न….।
छुटकी की बात माँ को अच्छी लगी और वह अंदर गई पुराना काठ का बक्सा खोला जिसमे सभी का एक जोईन्ट फोटो था। माँ खुशी-खुशी फोटो बाहर लेकर आई और फार्म में लगाने के लिए बताया। दोस्त बोला अकेले अविनाश की फोटो चाहिए यह तो नही चलेगी।
इसमे तो आप सब है। यह नही चलेगी …. फिर सभी के मुंह पर सन्नाटा छा गया तब मझली बहन बोली कैची से भैया की फोटो अलग करके फिर लगा देंगे आइडिया सबको अच्छा लगा लेकिन माँ को नही क्यो कि अविनाश फिर उस फोटो में नही रहेगा।
दोस्त और बहन ने फोटो काटकर फार्म में लगा दी। दोस्त भरा हुआ फार्म लेकर चला गया और अपने पिता को दे दिया। पिता ने दोनों फार्म डाक टिकट लगाकर पोस्ट कर दिया लगभग एक महिने बाद ही दोनों के घर परीक्षा देने के लिए प्रवेश पत्र आया।
परीक्षा के लिए दोनों दोस्त तैयार थे उनके साथ दोस्त के पिताजी भी जयपुर परीक्षा दिलवाने साथ गऐ। पेपर दोनों के अच्छे हुऐ। समय अपनी गती से चल रहा था। दो महिने बाद फिर उनके घर रजिस्ट्री पत्र आऐ जो एयरमैन पद के जोईनिगं लेटर थे। दोनों को बेलगाम कर्नाटक में ट्रेनिगं के लिए जाना था।
दोनों समय अवधि से बेलगाम ट्रेन द्वारा चले गए और जोईन कर लिया। लगभग एक वर्ष तक कठिन ट्रेनिंग चला। इस दौरान घर आना जाना नही हुआ। माँ को जब भी अविनाश की याद आती तब संदूक से फोटो निकालकर देखती रहती लेकिन उसमे अविनाश की फोटो नही थी यह देखकर आँखो से आँसू निकलने लग जाते।
और आसमान मे जब भी हवाई जहाज की आवाज़ सुनाई देती तब सभी घर वाले बाहर आकर हाथ हिलाकर बाॅय- बाॅय करते। समय निकलता गया एक वर्ष हो गया पता ही नही चला अब कसम परैड़ की तैयारिया चल रही थी सभी को बताया गया कि अपने रिश्तेदार माता-पिता, भाई-बहन को भी इस प्रोग्राम में बुला सकते है।
अविनाश ने अपने माँ-बाप और पांचो बहनो का हवाई जहाज का टिकट बनवाकर डाक द्वारा रजिस्ट्री कर दिया। टिकट देखकर माँ- बाप ने अपनी बेटियों से कहा कि हम नही जाऐगे तुम पांचो चली जाओ। लेकिन छुटकी बोली आप नही जाऐगे तो हम भी नही जाऐगे। तब जाकर सभी जाने को तैयार हुए और जानें का प्लान बनाया।
टैक्सी से एअरपोर्ट गए वहाँ एयर टिकिट दिखाकर जांच करवाकर हवाई जहाज में बैठे। कुछ ही घंटो मे बेलगाम कर्नाटक पहुंच गए। नीचे उतरते ही बाहर अविनाश खड़ा था। फिर सभी को साथ लेकर एयर पोर्ट के बाहर आया। वायु सेना की बस खड़ी थी, सभी बस में बैठकर केम्प आऐ।
कैम्प में चारों तरफ सजावट हो रखी थी। अपने घरवालो को कुर्सियों पर बिठाकर अविनाश तैयार होने चला गया। बैंड बज रहे थे गाने चल रहे थे। थोड़ी देर बाद मुख्य अतिथि महोदय आ गए। जिन्होंने परैड का निरीक्षण किया और सलामी ली। माँ-बाप और बहनें ये देखकर बहुत प्रसन्न थे।
उन्हें सब कुछ अच्छा लग रहा था। बीच- बीच में चाय नाश्ता दिया जा रहा था। परैड समाप्त होने के पश्चात सभी अपने-अपने माँ बाप से मिलें। सभी खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे थे। अब अविनाश एक वायुसेना का (जवान) आफिसर बन
गया। सभी को घर जाने की छुट्टी मिली। और सब एक साथ अपने दोस्त सहीत अपने पैतृक गाँव आऐ।
गाँव वालों ने सभी का स्वागत किया और बधाई दी।
अब यह परिवार वाले सभी बहुत खुश थे। बहनों को अच्छी स्कूल मे पढ़ाया। खुद भी एक पढ़ी-लिखी लड़की से शादी किया। सरकारी नौकरी की तनख्वाह से धीरे-धीरे सभी बहनों की शादी अच्छे-अच्छे परिवारों मे कर दी। परिवार में एक व्यक्ति सरकारी नौकरी लगने से अविनाश की तीन पीढ़ी का भविष्य बन गया।।।।।
शिक्षा- मेहनत का फल कभी व्यर्थ नही जाता। मेहनत करने वाला हमेंशा विजय होता है।