एक ही रास्ता
शाम को छत पर अकेली घूम रही नई नवेली दुल्हन पूनम को देखकर पड़ोस में रहने वाली शीला बोली-
“बेटा छत पर अकेले-अकेले कैसे घूम रही हो? सब ठीक तो है? तुम्हारा पति सचिन कहाँ है?”
“नमस्ते आंटी जी। वे बाजार से कुछ सामान लेने गए हुए हैं। घर में पड़े-पड़े काफी दिन हो गए थे। बोरियत हो रही थी। आज सोचा कि थोड़ा घूम लूं। ताजी हवा में सांस ले लूं इसलिए ऊपर चली आई।” पूनम ने जवाब दिया।
“अच्छी बात है बेटा। घूमना भी जरूरी है सेहत के लिए। मायके कब गयी थी? शीला ने सवाल किया।
“आंटी जी, शादी के तुरंत बाद गई थी फिर उसके बाद नहीं गई। तबसे यही हूँ। सचिन से और सासू मां से बहुत बार कह चुकी हूँ कि मेरा घर जाने का मन कर रहा है पर मुझे कोई भेज ही नहीं रहा। बोल रहे हैं कि तेरा घर अब यही है। मुझे घर की बहुत याद आ रही है।” बताते हुए पूनम की आंखें नम हो गई।
“बेटा, तेरी बातों से तो ऐसा लग रहा है कि सचिन तेरा ध्यान नहीं रख रहा। सचिन का पूरा ध्यान तुम पर होना चाहिए। अपना घर परिवार छोड़कर लड़की सिर्फ लड़के के भरोसे ससुराल में रहती है। अगर वह लड़का ही अपनी पत्नी का ध्यान न रखें तो जिंदगी बदतर लगती है। सारा परिवार चाहे कितना ही अच्छा क्यों ना हो गुजारा तो अपने ही आदमी से होता है। सचिन तेरा अच्छे से ख्याल तो रखता है ना?”
सचिन की बात पर पूनम एकदम शांत पड़ गई उसके मुंह से बोल ना निकले। आंसू बहने लगे। मानो किसी ने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो। शादी के एक माह बाद किसी ने इतने प्यार से उससे बात की। उसके हाल-चाल मालूम किये। वह भावुक हो गई। उसने सब सच-सच शीला आंटी को खुलकर बता दिया और मन मे कोई बात न रखी।
“आंटी जी, सचिन वैसे तो मेरा काफी ध्यान रखते हैं लेकिन पति का सुख क्या होता है? यह मैं नहीं जानती। मैं उस से अभी तक वंचित हूँ। शादी के बाद एक दिन भी वह मेरे पास मेरे कमरे में ना सोए।
शादी को एक महीना होने को आया। इधर-उधर ही रहते हैं। पास बुलाती हूँ तो आते भी नहीं। मेरा बात करने का मन होता है लेकिन मैं बात किससे करूं? जेठ-जेठानी अपने कमरों में रहते हैं। मैं उनके कमरों में जा नहीं सकती। मोबाइल मेरे पास है ही नहीं जो घर पर या अपनी किसी सहेली से फोन पर बतिया सकूं। अगर बात भी ना करूं तो कम से कम यूट्यूब वगैरह देखकर टाइम तो काट ही सकते हैं।
सचिन अपने मोबाइल से ही मेरी परिवार से बात करवाते हैं। मुझे तो सचिन का हिसाब कुछ समझ में नहीं आ रहा। अगर उन्हें मेरे पास आना ही नहीं था, मेरे साथ रहना ही नहीं था तो फिर उन्होंने मुझसे शादी क्यों की? मान लो अगर कोई शारीरिक दिक्कत है तो वह मुझसे खुल के शेयर कर सकते हैं लेकिन मेरे से दूरी क्यों बना रखी है। मैं नहीं जानती। आज विज्ञान इतनी तरक्की कर गया है कि हर समस्या का समाधान है।
मैं उनका इलाज करवाऊंगी, उनको ठीक करूंगी.. उनके सुख-दुख में साथ दूंगी पर इस तरह मुझसे दूर दूर रहना, मेरे करीब ना आना.. मुझे कमरे में अकेला छोड़कर बाहर सबके साथ सोना.. मुझे परेशान कर रहा है। क्या मेरे नसीब में पति का सुख नहीं है? क्या इन्होंने शादी सिर्फ दहेज के लिए ही की है?
क्या इनकी मेरे प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा, मैं क्या करूं? आंटी जी मेरी समस्या का समाधान करो। मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है। मेरा खुदकुशी करने का मन कर रहा है। मैंने शादी को लेकर कितने सपने देखे थे। अब सारे सपने चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं।”
“बेटा, इस तरह के बोल मत बोल। खुदकुशी कायर लोग करते हैं। जब तुमने सब बातें खोल ही दी हैं तो मुझे भी तुम्हें सब सच बता देना चाहिए। बात यह है कि सचिन शादी ही नहीं करना चाहता था लेकिन घर वालों के दबाब में आकर उसने दहेज के लिए, सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए तुमसे शादी की।”
“लेकिन वे शादी क्यों नहीं करना चाहते थे।” पूनम ने जिज्ञासावश सवाल पूछा।
“सच बताऊँ बेटा। शायद तुम्हें मेरी बात पर यकीन भी ना हो। लेकिन फिर भी तुम्हें बताती हूँ। सचिन के अपनी भाभी से मतलब तुम्हारी जेठानी कल्पना से अवैध संबंध है। तेरी जेठानी के दोनों बालक भी उसी से हैं। सचिन के बड़े भाई सुमित और तेरे सास-ससुर सबको इन दोनों के अवैध संबंधों के बारे में पता है।
इन संबंधों पर सचिन के परिवार के किसी भी सदस्य को कोई एतराज नहीं है। पूरे मोहल्ले में ये बात पता है। तेरी जेठानी बहुत बदतमीज औरत है। हो सकता है कि उसी ने सचिन को तेरे पास जाने से रोक रखा हो। बेटा, सचिन को सही राह पर लाना तेरी जिम्मेदारी है।” भाभी से अवैध संबंधों की बात सुनकर पूनम का माथा ठनका।
“आंटी जी, ऐसा कैसे हो सकता है? कोई अपनी भाभी से इस तरह संबंध कैसे बना सकता है? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा।”
“मैंने तो पहले ही कहा था कि तुम यकीन ना करोगी। अब तुम बस एक काम करना। अपने पति पर नजर रखना। तुम्हें सच का पता चल जाएगा।” यह बोलकर शीला नीचे अपने घर में चली गई।
उस रात पूनम को नींद ना आई। उसके दिमाग में शीला की बातें, सचिन और उसकी भाभी के संबंधों के विचार ही घूमते रहे। उसकी नज़रें अपने पति पर रहने लगी। एक दिन पूनम ने अपने पति को आधी रात में अपनी भाभी के साथ रसोईघर में आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया। वह सर पड़कर बैठ गई और फूट-फूट कर रोने लगी। दोनों पूनम को इस तरह अचानक देखकर सकपका गए और अपने-अपने कपड़े पहनने लगे। उन दोनों को इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। सचिन गुस्से से बोला-
“तुम यहाँ क्या करने आई हो? अपने कमरे में जाओ और सो जाओ।”
पूनम चीखकर बोली- यह तुम मुझसे पूछ रहे हो कि मैं यहाँ क्या करने आयी हूँ? जो तुम कर रहे हो, क्या वह सही है? शादी के बाद भी जब तुम्हें इस कलमुँही के साथ यह सब करना था तो तुमने मुझसे शादी क्यों की? तुमने मेरी जिंदगी क्यों बर्बाद की?” सचिन से उसके सवाल का जवाब देते न बना।
“अब इस घर में मैं एक मिनट भी नहीं रह सकती। मैं सुबह होते ही घर छोड़ कर चली जाऊंगी। तुम लोग आराम से मजे करना।” यह कहकर पूनम अपने कमरे में जाकर अपना सामान पैक करने लगी।
पूनम की चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर परिवार के बाकी सदस्य सास-ससुर, जेठ और जेठ के दोनों बच्चे भी जग गए थे। किसी की इतनी हिम्मत ना हुई कि वह पूनम को जाने से रोक सके। पूनम सुबह होते ही अकेले गाड़ी करके अपने मायके चली गई। वहाँ पहुँचकर पूनम अपने माता-पिता पर बहुत नाराज़ हुई, उसने उनसे झगड़ा किया।
“आप लोगों को शादी करने से पहले लड़के के बारे में, उसके परिवार के बारे में ठीक से जांच-पड़ताल करनी चाहिए थी। तुम्हारे इस फैसले ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। पता नहीं अब क्या होगा? पहलेपहल मुझे तो यही लगा कि सचिन को मर्दाना कमजोरी है, इसलिए शर्मिंदगी के कारण मेरे करीब नहीं आ रहा। लेकिन उसका अपनी भाभी से चक्कर होगा, इसकी कतई उम्मीद ना थी।
सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि पूरा परिवार इस बारे में जानता है लेकिन किसी को भी इन अवैध सम्बन्धों पर कोई एतराज नहीं है। बड़ा गिरा हुआ परिवार है वह, जिसमें आप लोगों ने मेरी शादी की। ऐसे घर में मैं दुबारा बिल्कुल नहीं जाऊंगी।” दो टूक पूनम ने माता-पिता को अपना फैसला सुना दिया। वे दोनों चुपचाप सुनते रहे, उनसे कोई जवाब ना बन पाया क्योंकि गलती उन्हीं की थी। पूनम सही कह रही थी।
पूनम को मायके में रहते हुए दो महीने हो गए। एक दिन अचानक सचिन उसको लेने ससुराल पहुँचा।
“पूनम जल्दी से तैयार हो जाओ। घर चलते हैं।”
“तुम्हारी यहाँ आने की हिम्मत कैसे हुई? तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे साथ फिर से उस नरक में जाऊंगी? क्या अब कुछ और देखना बाकी रह गया है? यहाँ क्यों आये हो? जाओ और कल्पना के साथ मजे करो। अब तो तुम्हें वहाँ कोई रोकने टोकने वाला ही नहीं है।मुझे तुम्हारे साथ नहीं जाना।” पूनम ने उसे ताने दिए।
“नहीं पूनम, ऐसे मत बोलो। तुम मेरी पत्नी हो। भाभी से सम्बन्ध रखना मेरी गलती थी। मुझे इसका अफसोस है। अब ऐसा नहीं होगा। तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगा। समाज में हमारी बड़ी बदनामी हो रही है। घर चलो, ऐसे कब तक अपनी मम्मी पापा पर बोझ बनकर बैठे रहोगी? शादी के बाद तो लड़की के लिए उसका ससुराल ही सब कुछ होता है। चलो घर चलो। मैं तुम्हें लेने आया हूँ।”
“तुम्हारी बातों से लगता है कि तुम्हें समाज की परवाह ज्यादा है, मेरी नहीं। अगर मेरी होती तो यूं दो महीने तक मेरी खैर-खबर क्यों नहीं ली? मैं कैसे मान लूं कि तुम बदल गए हो, सुधर गए हो?” पूनम बोली।
“पूनम, मेरी तुमसे बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मुझे लगा, समय देने से तुम्हारा गुस्सा शांत हो जाएगा। इसलिए अब मैं तुम्हें लेने के लिए आया हूँ। मैं सच में बदल गया हूँ। मुझे माफ़ कर दो। मुझे एक मौका दो। मैं तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूँगा। मुझे तुमसे झगड़ना नहीं है। अपने कपड़े जल्दी से बदलो और मेरे साथ चलो।”
पूनम के बाद, पूनम के पिताजी से सचिन बोला-
“पिताजी, आप ही पूनम को समझाओ। मैं पूनम को खुश रखूंगा। उसको मेरे साथ चलने को कहो। आखिर कब तक यह तुम पर बोझ बनी रहेगी और कब तक इसको घर बैठे बैठे खिलाओगे? इसका गुजारा तो ससुराल से ही होना है।”
“दामाद जी, पहली बात तो यह है कि मेरी बेटी पूनम मेरे लिए बेटे से काम नहीं है। अपने बच्चों को मैंने अच्छी परवरिश और अच्छी शिक्षा दी है। पूनम को इतना काबिल तो बना ही दिया है कि अपना गुजारा तो कुछ ना कुछ करके कर ही लेगी। लेकिन मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
तुम्हारे भाभी से संबंध है? यह जानकर तुमसे घिन आ रही है। तुमने मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी। यह मेरी गलती रही जो मैंने पूनम का जीवनसाथी तुमको चुना। तुम यहाँ अपनी गलती मानकर पूनम को ले जाने आए हो इसलिए तुम्हें एक मौका देना तो बनता है। याद रखना भविष्य में अगर मेरी बेटी को किसी तरह की कोई दिक्कत हुई और तुमने अपनी भाभी से दूरी ना बनाकर रखी तो मेरे से बुरा कोई नहीं होगा।
लोग सच कहते हैं कि बहू, नारियल और दामाद का कुछ पता नहीं चलता कि अंदर से कैसे निकलेंगे? बाहर से तो सब अच्छा ही नजर आता है। बरतने पर ही पता चलता है कि क्या हाथ लगा है? हीरा या कोयला? चलो बेटा पूनम, तैयार हो जाओ और सचिन के साथ अपनी ससुराल जाओ।” इस तरह पिता के कहने पर व मम्मी के समझाने पर पूनम सचिन के साथ जाने को राजी हो गई।
कुछ दिन तक तो पूनम के साथ सचिन ने और ससुराल वालों ने अच्छा व्यवहार किया। सचिन ने भी अपनी भाभी से दूरी बनाकर रखी लेकिन कुछ समय बाद फिर से वही सब कुछ चालू हो गया। रात को सोने के समय सचिन पूनम को नींद की गोलियां दूध में डालकर खिला देता था।
फिर पूनम के गहरी नींद में सो जाने के बाद.. चुपचाप कमरे से बाहर निकलकर अपनी भाभी के साथ रंगरलिया मनाने में मस्त हो जाता था। आये दिन सचिन पूनम को नींद की गोलियां देने लगा ताकि उनकी रासलीला में कोई खलल न पड़े। पूनम देर से उठती। उसको सर में भारीपन, सरदर्द की शिकायत रहने लगी।
शरीर टूटा टूटा रहने लगा। हर समय नींद का ही असर रहने लगा। पूनम को दाल में कुछ काला लगा। उसको लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है। वह एहतियात बरतने लगी। एक दिन पूनम ने सचिन को दूध में कुछ मिलाते हुए देख लिया। उस रात उसने दूध नहीं पिया, सिर्फ दूध पीने का नाटक करके दूध फेंक दिया। वह चुपचाप आंख बंद करके लेट गई और गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगी।
आधी रात को उसने देखा कि उसका पति चुपके से उसके पास आया और एक दो बार पूनम के कान के पास जोर से ‘पूनम, पूनम’ बोला। लेकिन पूनम गहरी नींद में सोने का बहाना बनाकर पड़ी रही। जब सचिन को यकीन हो गया कि वह गहरी नींद में है तो वह कमरे से चुपचाप बाहर निकला, बाहर से कमरे का दरवाजा बंद करके… अपनी भाभी के कमरे में चला गया। पूनम ने यह सब अपनी आंखों से कमरे की खिड़की से चुपचाप देख लिया। आधे घंटे बाद जब सचिन कमरे में वापस आया तो पूनम ने शांतिपूर्वक अपनी बात सचिन से रखी।
“तुम मेरा इतना ध्यान क्यों रख रहे थे, यह बात मुझे अब समझ में आई। तुम हर रोज मुझे दूध में नींद की गोलियां देकर सुला देते थे और मेरे गहरी नींद में जाने के बाद अपनी भाभी के साथ मजे करने निकल जाते थे। बहुत बढ़िया। मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।
तुमने मुझसे और मेरे मम्मी-पापा से वादा किया था कि तुम बदल जाओगे, अपने अंदर सुधार कर लोगे, अपनी भाभी से दूरी बना लोगे लेकिन तुमने अपनी किसी बात पर अमल नहीं किया। तुम मुझे झूठ बोलकर घर से यहाँ ले आए। क्या मैं जान सकती हूँ कि आखिर तुमने ऐसा क्यों किया? आखिर उसमें ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं है?
तुम उसके पास क्यों जाते हो? क्या तुम यह सब बंद नहीं कर सकते? मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ। मैं तुम्हें उसके पास जाता नहीं देख सकती। मैं क्या? कोई भी औरत यह नहीं चाहेगी कि उसका पति उसे छोड़कर कहीं और मुँह मारे। क्या तुम मेरे लिए बदल नहीं सकते? सिर्फ मेरे बनकर नहीं रह सकते?”
“देख पूनम, अब तो तुम हमारे बारे में सब जान गई हो। तुझसे कुछ छिपा हुआ नहीं है। बस यह जान लो कि मैं अपनी भाभी के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता। मेरी जिंदगी में तुम्हारे आने से पहले वह मेरी जिंदगी में आ गई थी। मेरे अपनी भाभी के संबंधों को लेकर परिवार के किसी सदस्य को कोई आपत्ति नहीं है.. यहां तक कि मेरे भाई को भी जिनकी वह पत्नी है.. आपत्ति नहीं है।
भैया भी मुझसे बहुत खुश हैं। कम से कम भाभी इस घर में मेरी वजह से रुकी हुई तो हैं। एक औरत को क्या चाहिए? खाना-पीना और सेक्स। खाने-पीने की तो कोई कमी नहीं है तुम्हें और जहाँ तक सेक्स की बात है.. मुझे तेरे साथ सम्बन्ध बनाने में बिल्कुल भी मजा नहीं आता।
मुझे तो अपनी भाभी के साथ सेक्स करना ज्यादा अच्छा लगता है। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे बड़े भाई से संबंध बना लो। भाभी को भी और मुझे भी कोई आपत्ति नहीं होगी। तुम भी खुश और मैं भी खुश। भैया बच्चे पैदा नहीं कर सकते। बाकी हर मामले में वे ठीक है।
भाभी के दोनों बच्चे मेरे ही हैं। बच्चे पैदा करने की चिंता तुम मत करो। तेरे से होने वाला बच्चा मेरा ही होगा.. भैया का नहीं। तू भी मौज ले और मुझे भी मौज करने दे।” सचिन बेशर्मी से पूनम से बोला। पूनम सचिन की बात सुनकर ज्यादा गुस्सा नहीं हुई और उसने ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी।
वह शांत रही। उसके दिमाग में सचिन और उसके परिवार को सबक सिखाने की एक खतरनाक योजना चल रही थी। उसको क्रियान्वयन करने के लिए उसका शांत रहना बेहद जरूरी था। उसने सहमति में सर हिलाया और बिस्तर पर जाकर सो गई। सचिन को भी यकीन हो गया कि पूनम अब कोई नया तमाशा नहीं करेगी और लड़कर अपने घर नहीं जायेगी।
तीन दिन बाद जब घर के सब लोग गहरी नींद में सो रहे थे तब पूनम ने अपने कमरे में रखें सभी सामानों जैसे- बेड, ड्रेसिंग टेबल, कपड़े, कुर्सी-मेज इत्यादि पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी और चुपके से घर से बाहर निकल गई। उसने घर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया ताकि कोई उसके पीछे ना आए और उसको पकड़ने की कोशिश ना करें। जब कमरे में आग तेजी से फैल गई। कमरे में रखा सामान धू-धूकर कर जलने लगा तब परिवार के सदस्यों की आंख खुली। आग लगने का कारण वे समझ न पाये।
वे भाग कर कमरे में आग बुझाने पहुँचे। उन्हें लगा- कहीं पूनम कमरे में ना हो। लेकिन उन्हें पूनम कहीं ना मिली। उन्होंने पाया कि घर का दरवाजा बाहर से बंद था। वह सब समझ गए कि यह सब पूनम ने घर छोड़कर भागने को किया है।
उधर पूनम तेज कदमों से चल रही थी। उसने काफी दूरी पैदल तय की और मुख्य सड़क पर पहुँचकर ऑटो रिक्शा करके बदहवास हालत में सीधी कोतवाली पहुंची। उसके फटे कपड़ो से मिट्टी के तेल की गंध आ रही थी। वहाँ रोते हुए उसने दरोगा को सारा किस्सा सुनाया-
“सर, मेरी शादी को मात्र 3 महीने हुए हैं। मेरे पति, जेठ-जेठानी, सास-ससुर शादी में मिले दहेज को कम बताकर हर रोज मायके से 5 लाख रुपये की मांग कर रहे थे। दहेज के लिए मुझे हर रोज मारते-पीटते थे। मुझे खाने-पीने को भी नहीं देते थे। मेरे पति के अपनी भाभी से गलत संबंध है। इस बात का पूरे परिवार को पता है।
मुझ पर भी जेठ से सम्बंध बनाने के लिए दबाव बनाया गया लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी। आज जब मैंनें अपने पति और जेठानी को अपनी आंखों से आपत्तिजनक स्थिति में देखा और विरोध किया तो पूरे परिवार ने मुझे कमरे में बंद करके मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगाने की कोशिश की। बड़ी मुश्किल से कमरे से निकलकर.. खुद को बचाकर यहाँ आप तक पहुंची हूँ। दरोगा जी, मुझे बचा लीजिए। मैं मरना नहीं चाहती। मुझे मेरे मायके मेरे मम्मी पापा के पास भिजवा दीजिए। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।”
दरोगा ने पूनम के पति, जेठ, जेठानी, सास-ससुर पर दहेज के लिए परेशान करने.. दहेज न मिलने पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगाकर जान से मारने की कोशिश करने पर मुकदमा दर्ज कर लिया और पूनम को अपनी गाड़ी में बैठाकर उसके पिता के पास मायके पहुंचा दिया।
पूनम के ससुराल वाले पूनम के द्वारा दर्ज किए गए मुकदमें में दोषी साबित हुए और पुलिस ने उन्हें पकड़कर जेल भेज दिया। पूनम ने सचिन व उसके परिवार को सबक सिखाने और उस नरक से खुद को बाहर निकलने के लिए यही एक रास्ता चुना। उसने ठीक किया या नहीं? नहीं पता।
पर वह उन दुष्ट लोगों को सजा दिलाकर खुश थी। उसने सोच लिया था कि वह किसी पर आश्रित नहीं रहेगी। वह नौकरी करेगी। अपने मां-बाप की सेवा करेगी। जल्द ही अब उसको आसानी से सचिन से तलाक मिल जाएगा।अगर निकट भविष्य में उसको कोई और बेहतरीन जीवन साथी मिलता है तो ही वह शादी के बारे में सोचेगी.. नहीं तो वह अकेले ही अपनी जिंदगी बिताना पसन्द करेगी।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा
यह भी पढ़ें :-







