” जानते हो एक स्त्री क्या चाहती है?”

सम्मान और स्वाभिमान के साथ, समाज में सर उठाकर जीना…..।
उसकी सहमति से उसके तन मन, पर अपना अधिकार जमाना …..।
उसके सम्मान को ना ठेस पहुंचाये ,
उसे केवल भोग की वस्तु न मानें,
उसके अस्तित्व को तार तार न करें…..।
वह नहीं चाहती कि उसकी
रजा मंदी के बगैर उसे कोई छुए,
गंदी नजरों से घूर उसके जिस्म पर अपनी हवस की टकटकी लगाए…..।
अब तक नहीं समझा किसी ने उसके मन के हर भाव को, जो वह नहीं कर सकी व्यक्त खुलकर……।
“नहीं बता सकी कि वह क्या चाहती है?”
और सबसे अहम् बात उसे स्वतंत्र छोड़ना,
उसे खुले आसमान में जो उसका भी है…।

Lata Sen

लता सेन

इंदौर ( मध्य प्रदेश )

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