Poem alvida sardi
Poem alvida sardi

अलविदा सर्दी

(  Alvida sardi )

 

 

आ गया मधुमास सुहाना चली मस्त बयार
सर्दी को अलविदा कहने लगे सब नर नार

 

फागुन महीना आ गया खिलने लगी धूप भी
ठंड गायब हो गई कलियां खिली अनूप सी

 

धुंध कोहरा ओस सारे अब छोड़ चली पुरवाई
खुशबू फैली बागानों में महक उठी अमराई

 

मस्तानों की टोली आई गीत धमाल मचे भारी
होली का हुड़दंग छाया प्रीत रंग में दुनिया सारी

 

सर्दी को विदा करने मौसम बसंत अब आ गया
महक उठे चमन सारे हर डाली पता हरसा गया

 

गीतों के तराने लब पे मुस्कान भरे मोती बरसे
रंगों की छाई छटा निराली खेतों में सरसों हरसे

 

झूम झूम नाचे सारे सर्दी अब तो नहीं सताती
मस्त-मस्त चले बहारें सबके मन को हर्षाती

 

आने वाला मार्च महीना गर्मी ने भी दस्तक दे दी
अलविदा अब सर्दी को बाय-बाय सबने कह दी

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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