प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर निबंध
प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर निबंध

प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर निबंध

( Natural disaster management: Essay In Hindi )

जो प्रकृति कुपित हो जाती है तो उसके आगे मनुष्य की नहीं चलती है। सब प्रकृति द्वारा ऐसा महाविनाश का तांडव शुरू होता है कि मानवता कराह उठती है प्रकृति को पहले जैसे कहा जाते हैं जिसके आगे इंसान विवश हो जाता है।

प्रकृति का प्रकोप किसी भी रूप में हो सकता है। उसका परिणाम एक ही होता है – तबाही। प्राकृतिक आपदाएं इंसान के बस में नहीं है। इन्हें रोका नहीं जा सकता है।

लेकिन आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर मजबूत बनकर होने वाली तबाही को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

यदि पूरी तैयारी हो तो प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से खुद को काफी हद तक इंसान बचा सकता है। लेकिन आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर भारत देश कमजोर है।

आपदा प्रबंधन की कोई ठोस प्रणाली और रणनीति विकसित नहीं हुई है। ऐसे में आपदा चाहे कहीं पर भी आए उसके विनाश से सब प्रभावित होते हैं।

भारत प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। यहां पर प्राकृतिक आपदाएं काफी ज्यादा आती हैं। भारत में सतपुड़ा तथा विंध्य की पहाड़ियों के सहारे भ्रंश घाटी पाई जाती।

है सतपुड़ा के दक्षिण में स्थित भ्रंश घाटी में ताप्ती नदी तथा सतपुड़ा के उत्तर एवं विंध्य पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित घाटी में नर्मदा नदी प्रभावित होते प्रवाहित होती है।

भ्रंश घाटी स्थित होने के कारण गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार में भूकंप की घटनाएं अक्सर होती रहती है।

हिमालय क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। इस प्रकार से भारत की तटीय क्षेत्र सीमा चक्रवात से प्रभावित है।

बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में में 5-6 चक्रवात हर साल आते हैं। पश्चिमी घाट के प्रक्षोभ पूर्वी घाट चक्रवात के प्रति अधिक संवेदनशील है और साथ में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पुडुचेरी अतिसंवेदनशील क्षेत्र हैं।

देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 9% भाग चक्रवात से प्रभावित है। एक अनुमान के अनुसार भारत के 13 तटीय राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 32 करोड़ जनसंख्या चक्रवात संबंधी आपदा के प्रति संवेदनशील  है।

भारत में बाढ़ प्राकृतिक आपदा का एक प्रत्यक्ष रूप है। बाढ़ की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं। क्योंकि बंगाल की खाड़ी से मानसून की शाखा असम में पहुंचकर ब्रह्मपुत्र तथा सुरमा घाटी में फंस जाती है और पहाड़ियों के ढलान के कारण यहां पर अत्यधिक वर्षा होती है।

भारत के पूर्वी राज्य में जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 100 मीटर से कम है वहां पर बाढ़ आने की संभावना अधिक रहती है।

इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्वी उड़ीसा जैसे क्षेत्र शामिल है। वही अरब सागर की मानसून की वजह से महाराष्ट्र के मुंबई में बाढ़ का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है।

भारत में आपदा से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में ढांचागत बदलाव आया है। भावी योजनाएं तैयार की जा रही है।

जिससे भारत को आपदा के नुकसान को कम किया जा सके। हालांकि इस दिशा में कई चुनौतियां हैं जैसे सबसे बड़ी चुनौती बहुत से क्षेत्रीय प्रयासों को क्रियान्वयन करना, निगरानी करने के लिए समन्वित करना।

वर्तमान समय में भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नवगठित आपदा प्रबंधन ढांचे के साथ आपदाओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए काम हो रहा है।

यह ढांचा सुरक्षित भारत का निर्माण करके राष्ट्र के भावी सपनों को साकार करने और अन्य क्षेत्रों में आगे ले जाने से संबंधित है।

26 दिसंबर 2004 को प्रशांत महासागर में आई सूनामी ने राष्ट्रीय नेतृत्व के आपदा प्रबंधन विधेयक को पारित करने के प्रेरित किया था।

इसके बाद इस दिशा में भारत सरकार ने 23 दिसंबर 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 पारित किया।

  • जिसमें प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया।
  • विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया।
  • सभी स्तरों पर आपदा नियंत्रण उपायों के फैलाव को सुनिश्चित करने के लिए इस व्यवस्था को जिला देशों के नेतृत्व में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बनाया गया।
  • आपदा प्रबंधन में प्रभावी उपाय सुनिश्चित करने के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान और समय रहते चेतावनी प्रणाली के बड़े हिस्से का पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का गठन कर दिया गया है।

सरकार द्वारा राष्ट्रीय भूकंप जोखिम न्यूनीकरण पर योजना चलाई जा रही है जिसका उद्देश्य भूकंप के प्रति व्यापक पैमाने पर लोगों को प्रशिक्षित करना है।

निष्कर्ष आपदा प्रबंधन के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट इन इंडिया नामक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसके अनुसार भारत का 85% भाग या उससे अधिक आपदाओं के दायरे में आता है। भारत के कुल भूभाग का 8% भाग चक्रवात 68% भाग बाढ़ जैसी अन्य आपदाओं के दायरे में है।

पिछले 100 सालों में भारत में बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूस्खलन, तूफान, भूकंप, सुनामी जैसे कई प्राकृतिक आपदाएं आई है।

इस रिपोर्ट में इन आपदाओं का कारण भौगोलिक परिस्थितियों, संसाधनों की कमी, आपदाओं के प्रबंधन समिति, आपदाओं के पश्चात सक्रियता में विलंब जैसी बातों को कारण बताया गया है।

आपदा प्रबंधन के लिए सरकारी स्तर पर ठोस प्रयास की आवश्यकता है। साथ ही जनता को भी इस संबंध में प्रशिक्षित को जागरूक करने की आवश्यकता है।

लेखिका : अर्चना  यादव

यह भी पढ़ें :-

Essay In Hindi | क्या प्लास्टिक को बैन करना चाहिए

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here