गौरा न जाई

गौरा न जाई | Gaura na Jai

गौरा न जाई

( Gaura na Jai )

देखि देखि रूप दूल्हा रोवें मैंना माई
पगला के संग हमरी गौरा न जाई।।

अईसन न दूल्हा देखा, देखा न बराती
रंग रूप देखिके जरि जाए छाती
बड़ा दुख होए जिया घबराई….
पगला के संग हमरी गौरा न जाई …..

तन पर भभूत भूत संग नाचे गावे
सांप बिच्छू गोजर जीव डेरवावे
चले जिधर दूल्हा लड़िका डेराई….
पगला के संग हमरी गौरा न जाई…

भईल कौन भूल जो रचे बर विधाता
जरे अईसन किस्मत,बरे अइसन नाता
चाहे बारात रहे चाहे लौट जाई ….
पगला के संग हमरी गौरा न जाई….

देवों के देव महादेव औघड़ दानी
करी नाही चिंता हे माता महारानी
किस्मत हमार जो बर रूप पाईं…..
पगला के संग ही तोहरी गौरा जाई….

कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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अभिलाषा | Abhilasha kavita

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